कैंसल वोटों पर ईवीएम ने लगाई लगाम

चुनाव डेस्क। इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) ने बड़े पैमाने पर निरस्त (बर्बाद) होने वाले मतों (वोट) पर लगाम लगा दी है। पूर्व में तमाम मतदाता ऐसे होते थे जो अज्ञानतावश या फिर प्रतिद्वन्दिता के चलते मत पत्रों पर एक से अधिक मुहर लगा दिया करते थे। या फिर मत फाड़ दिया करते थे अथवा रोसनाई (स्याही) गिरा दिया करते थे जिससे मत खराब या निरस्त हो जाया करता था। इसके अलावा कई अन्य कारण भी थे जिससे लाखों मत निरस्त हो जाया करते थे। परन्तु जैसे-जैसे चुनावों में ईवीएम का प्रयोग बढ़ता गया निरस्त होने वाले वोटों की संख्या कम होती चली गई। एक समय ऐसा भी आया था जब यूपी में 17 प्रतिशत तक वोट निरस्त हुए थे। साठ के दशक में इतने बड़े पैमाने पर वोटों के निरस्तीकरण ने निर्वाचन प्रक्रिया पर सवाल खड़ा कर दिया था। अस्सी के दशक के बाद के आंकड़ों पर नजर डालें तो तो पाएंगे कि 1989 के विधानसभा चुनाव में साढ़े चार प्रतिशत से अधिक वोट निरस्त हो गए थे। तब अंकों में यह आंकड़ा 19 लाख 71 हजार से अधिक था किन्तु ईवीएम के कारण वोटों के निरस्त होने का ग्राफ अब एक फीसदी से भी काफी नीचे आ चुका है। हालांकि निर्वाचन प्रक्रिया के जानकार बताते हैं कि पहले निरक्षरों की संख्या अधिक थी।दूसरे मतपत्र पर कहां मुहर लगाया जाना है या कहां अंगूठा लगाना है इसके बारे में सभी मतदाताओं को पता नहीं था। कई वोट तो हड़बड़ी में बेकार हो जाते थे। जब से निर्वाचन आयोग ने मतदान को लेकर गली-गली, घर-घर जागरूकता अभियान शुरू कराई तब से बेकार होने वाले मतों की संख्या कम से कम होती चली गई। बीते 2017 के विधानसभा चुनाव में मात्र 0.2 प्रतिशत वोट ही निरस्त हुए जो यह बताता है कि ईवीएम को वोट की बर्बादी रोकने में बड़ी सफलता मिली है। 2012 के विधानसभा चुनाव में 38,736 पोस्टल बैलेट निरस्त हुए थे जबकि 17,170 मत ईवीएम में निरस्त हुए थे। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 19433 पोस्टल तथा ईवीएम में 7742 खराब हुए। इस प्रकार कुल 17.175 मत निरस्त हुए जो कुल मतदान का मात्र 0.02 है।