ठगे गये दिल्लीवासी: बिजली कंपनियों ने लगाया 8 हजार करोड़ का चूना

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नई दिल्ली। डिस्कॉम्स पर जारी की गई कैग रिपोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में निजी बिजली कंपनियों द्वारा उपभोक्ताओं को चूना लगाने का खुलासा हो गया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में निजी बिजली कंपनियों ने उपभोक्ताओं से अपनी बकाया राशि वसूलने की रकम को 8,000 करोड़ रुपये बढ़ाकर पेश किया। डिस्कॉम्स पर जारी की गई अपनी रिपोर्ट में कैग ने यह बात कही है।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि दिल्ली में बिजली की मौजूदा दरों को कम किए जाने की काफी संभावनाएं मौजूद हैं।
रिपोर्ट में राजधानी की तीन बिजली कंपनियों- बीएसईएस यमुना पॉवर लिमिटेड और बीएसईएस राजधानी पॉवर लिमिटेड जो अनिल अंबानी के रिलायंस समूह की कंपनियां हैं और टाटा पॉवर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड को कई आधारों पर कठघरे में खड़ा किया गया है।
रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि इन तीनों कंपनियों ने उपभोक्ताओं से संबंधित आंकड़ों में छेड़छाड़ की और बिक्री के ब्योरे को सही तरीके से पेश नहीं किया। साथ ही, तीनों कंपनियों ने कई ऐसे फैसले लिए जो उपभोक्ताओं के हितों को नुकसान पहुंचाने वाले थे। ऐसे फैसलों में महंगी बिजली खरीदना, लागत को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना, राजस्व को दबाना, बिना टेंडर निकाले ही अन्य निजी कंपनियों के साथ सौदा करना और अपने समूह की कंपनियों को गलत तरीके से फायदा पहुंचाना शामिल हैं।
कंपनियों द्वारा की गईं सबसे बड़ी गड़बडिय़ों में विनियामक संपत्ति को बढ़ा-चढ़ाकर बताना शामिल है। विनियामक संपत्ति पूर्व में हुआ ऐसा नुकसान होता है, जिसे उपभोक्ताओं से वसूल किया जा सकता है। इस वसूली के लिए विनियामक प्राधिकरण से अनुमति लेना जरूरी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन तीनों कंपनियों की 31 मार्च 2013 स्वीकृत विनियामक संपत्ति 13,657.87 करोड़ रुपये थी। कंपनियों के ऑडिट रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि तीनों कंपनियों ने अपने विनियामक संपत्ति में कम-से-कम 7,956.91 करोड़ रुपये तक बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। ऑडिट के नतीजों पर अगर अमल किया जाए तो डिस्कॉम्स की मौजूदा वित्तीय देनदारियों में बहुत कमी आ जाएगी, जिससे उपभोक्ताओं के बिलों में भी काफी कमी आएगी। इससे कार्यकर्ताओं के उन दावों को मजबूती मिलती है, जिसमें लंबे समय से कहा जा रहा था कि बिजली के भारी-भरकम बिल गलत हैं। कैग की रिपोर्ट में दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) और सरकार द्वारा उक्त कंपनियों के बोर्ड में नियुक्त किए गए लोगों की भूमिका पर भी सवाल उठाया गया है। साथ ही, ऑडिट से आम आदमी पार्टी व अन्य कार्यकर्ताओं के उन दावों को भी मजबूत आधार मिलता है कि दिल्ली में बिजली उपभोक्ताओं को कंपनियों द्वारा थमाया जा रहा भारी-भरकम बिल किसी भी दृष्टि से वाजिब नहीं है। 49 दिनों की अपनी पहली सरकार के दौरान अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने 1 जनवरी 2014 को बिजली सेक्टर के लिए विशेष कैग ऑडिट करवाने का आदेश दिया था।