उप्र में गोरखपुर, वाराणसी, मथुरा-वृन्दावन के महायोजना में मेडिसिटी, स्पोर्ट्स सिटी, एजुकेशन सिटी, कन्वेशन सेंटर धार्मिक नगरों की पहचान मंदिरों से है, उनकी प्राचीनता एवं ऐतिहासिकता को बनाये रखें

लखनऊ 25 दिसम्बर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज यहां अपने सरकारी आवास पर आहूत एक उच्चस्तरीय बैठक में गोरखपुर, वाराणसी, मथुरा-वृन्दावन के सुनियोजित विकास के लिए सम्बन्धित विकास प्राधिकरणों द्वारा तैयार जीआईएस बेस्ड महायोजना-2031 का अवलोकन किया और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखपुर, वाराणसी और मथुरा-वृन्दावन जैसे धार्मिक नगरों की पहचान जिन मंदिरों अथवा अन्य प्रतिष्ठित भवनों से है, उनकी प्राचीनता एवं ऐतिहासिकता को बनाये रखने हेतु उनके आसपास उस भवन/मंदिर से अधिक ऊंचाई वाले भवनों के निर्माण की स्वीकृति नहीं दी जानी चाहिए। इस व्यवस्था को महायोजना में शामिल करें।
मुख्यमंत्री ने अलग-अलग नगरों की महायोजना पर विचार करते हुए कहा कि नगरों में यातायात प्रबन्धन एक महत्वपूर्ण विषय है। हमें इसके लिए ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है। शहर में इलेक्ट्रिक बसों के परिचालन को वरीयता दें। परम्परागत ईंधन वाली बसों को यथासम्भव नगर से बाहर ही रखा जाए। मल्टीलेवल पार्किंग के लिए उपयुक्त स्थान निर्धारित करें।
प्रदेश के हर बड़े नगर में अपार सम्भावनाएं हैं। यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023 से हर जनपद में बड़ा निवेश आया है। ऐसे में मथुरा-वृन्दावन, गोरखपुर, वाराणसी की महायोजना में मेडिसिटी, स्पोर्ट्स सिटी, एजुकेशन सिटी, कन्वेशन सेंटर आदि के लिए स्पष्ट क्षेत्र चिन्हित करते हुये व्यवस्था को आगे बढ़ाया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि हर नगर की महायोजना में 15-16 प्रतिशत क्षेत्र हरित क्षेत्र के लिए आरक्षित हो। जहां कहीं भी ग्रीन बेल्ट है, वहां किसी भी दशा में नई कॉलोनी न बसने पाए। इस निर्देश को महायोजना में शामिल करें। नई कॉलोनी के विकास के साथ वहां सड़क, सीवर, बिजली, पानी जैसी सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 01 ट्रिलियन डॉलर की बनाने में आवास सेक्टर की बड़ी भूमिका है। स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (सेज) तथा इण्डस्ट्रियल क्षेत्र के समीप नई टाउनशिप का विकास जरूर हो।
अब उत्तर प्रदेश बड़े राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय कार्यक्रमों की मेजबानी कर रहा है। प्रदेश के हर शहर को ऐसे अवसर मिलें। इसके लिए अवस्थापना सुविधाओं का विकास आवश्यक है। सभी विकास प्राधिकरणों में अन्तराष्ट्रीय स्तर के कन्वेंशन सेंटर विकसित किए जाएं। सभी प्राधिकरण, स्थानीय निकाय यह सुनिश्चित करें कि कहीं भी किसी भी परिस्थिति में अवैध बस्तियां/रिहायशी कॉलोनी बसने न पाए। हर कॉलोनी में सभी जरूरी सुविधाएं हों।
विकास प्राधिकरणों को नई सम्भावनाएं तलाशनी होंगी। नगर निगम के बाहर विस्तार लेना होगा। प्राधिकरण अपने दायरे को बढ़ायें तथा आय के नए स्रोत सृजित करें। गोरखपुर विकास क्षेत्र की वर्तमान जनसंख्या लगभग 14 लाख है। आने वाले 10 वर्षों में यह जनसंख्या 25 लाख और वर्ष 2047 तक जनसंख्या के 50 लाख होने की सम्भावना है।
01 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का लक्ष्य पूरा करने में गोरखपुर के साथ-साथ पूरा पूर्वान्चल क्षेत्र एक अहम भूमिका निभा सकता है। लक्ष्य को पूरा करने के लिए हमंे लघु और मध्यम स्तर के तकनीकी उद्यम को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है। गोरखपुर शहर को विकास के सदैव बदलते आयामों के साथ समावेशी और एक पूरे क्षेत्र के लिए गेटवे सिटी के रूप मे स्थापित करना होगा। रामगढ़ ताल की जेट्टी काफी पुरानी है। नई जेट्टी बनाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक झीलों, जलाशयों को संरक्षित किया जाए तथा मनोरंजनात्मक गतिविधियों के लिए विकसित किया जाए। लेक फ्रंट, रिवर फ्रंट एवं धार्मिक क्षेत्रों को विकसित किया जाए। गोरखपुर अपने टेराकोटा (माटी कला) उत्पादन के लिए जाना जाता है। महायोजना में इसके विकास के लिए नियोजित प्रयास किए जाएं। मोबिलिटी में सुधार हेतु गोरखपुर को मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब के रूप में विकसित करने के प्रयास हों।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर विकास प्राधिकरण में टाउन प्लानर की तैनाती की जाए। योग्य, दक्ष युवाओं का चयन करें और उन्हें प्रशिक्षण दें। आईआईटी अथवा राज्य सरकार के तकनीकी शैक्षणिक संस्थानों का सहयोग लिया जाना चाहिए। वाराणसी में रिंग रोड तक मास्टरप्लान को विस्तार दिया जाए। मथुरा-वृन्दावन में पर्यटक सुविधाओं को और बढ़ाया जाना आवश्यक है। यहां गोवर्धन व वृन्दावन परिक्रमा मार्ग का सुदृढ़ीकरण किया जाए।
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