नाग पंचमी पर विशेष:काफी गहरा है सांपों का अलग-अलग रहस्य

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फीचर डेस्क। सांप का नाम सुनते ही सभी के मन में एक डर सा छाने लगता है। लेकिन सांप मनुष्यों में सदियों से आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सांपों को लेकर वैज्ञानिकों ने हजारों शोध कर दिए है, लेकिन इसके बाद भी यह अभी तक रहस्य का भंडार बना हुआ है। पुरातन समय से ही सांपों से जुड़ी कई जानकारिया व मान्यताएं और किवंदतियां हमारे समाज में फैली हुई हैं। इन मान्यताओं के साथ मनुष्यों में उनको लेकर कई अंधविश्वास भी होते हैं, जो सदियों से मनुष्य के बीच डर का कारण बने हुए हैं। नागपंचमी के अवसर पर हम आपको सांपों से जुड़े कुछ ऐसे ही अंधविश्वासों के बारे में जानकारी बताने जा रहे है।
1. मणिधारी सांप का सच: लोगों में सांपों से जुड़ी एक मान्यता यह है कि कुछ सांप मणिधारी होते हैं यानी इनके सिर के ऊपर भाग पर एक चमकदार, बहुमूल्य मणि होती है। जीव विज्ञान की माने तो, यह बात अंधविश्वास है, क्योंकि दुनिया में अभी तक जितने भी प्रकार के सांपों के बारे में पता लगाया गया है, उनमें से एक भी सांप मणिधारी नहीं पाया गया है। ऐसे ही तमिलनाडु के इरुला जनजाति के लोग जो सांप पकड़ कर अपना जीवन यापन करते है। उन्होंने भी मणिधारी सांप के होने से इनकार किया है।
2. इच्छाधारी सांप का सच: ऐसा माना जाता है की इच्छाधारी सांप होते हैं यानी वह अपनी इच्छा के अनुसार, अपना रूप परिवर्तित कर सकते है और कभी-कभी यह मनुष्यों का रूप भी आ सकते है। जीव विज्ञान के मुताबिक, इच्छाधारी सांप नहीं पाये जाते है यह मनुष्य का अंधविश्वास और कोरी कल्पना है, इससे ज्यादा और कुछ नहीं। इस विषय को लेकर कई फिल्मे भी बनाई जा चुकी हैं, इसलिए इस मान्यता को बल मिलता रहा है। हालांकि, यह मान्यता पूरी तरह से गलत है।
3 सांप साथी की मौत का बदला लेते है: लोगों में मान्यता है कि यदि कोई मनुष्य किसी सांप को मार दे तो उस सांप की आंखों में मारने वाली की तस्वीर आ जाती है, जिससे पहचान कर सांप का साथी उसका पीछा करता है और उसको काटकर वह अपने साथी की मौत का बदला लेता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह मान्यता पूरी तरह से अंधविश्वास पर आधारित है, क्योंकि सांप अल्पबुद्धि वाले जीव होते है। सांपों का मस्तिष्क बिलकुल विकसित नहीं होता है वह किसी घटनाक्रम को याद नहीं रख सकते। जीव विज्ञान के अनुसार, जब कोई सांप मरता है तो वह अपने गुदा द्वार से एक खास तरह की गंध छोड़ता है, जो उस प्रजाति के अन्य सांपों को आकर्षित करती है। इस गंध में जरिए अन्य सांप मरे हुए सांप के पास दिखाई देते है, जिन्हें देखकर यह समझा जाता है कि अन्य सांप मरे हुए सांप की हत्या का बदला लेने आए हैं।
4. दूध पीने के पीछे का सच: हिंदू धर्म में सांप को दूध पिलाने की प्रथा प्रचलित है, जो कि सही नहीं। जीव विज्ञान में बताया गया है की सांप पूरी तरह से मांसाहारी जीव है। यह मेंढक, चूहा, पक्षियों के अंडे व अन्य छोटे-छोटे जीवों को अपना भोजन बनाता है। दूध इनका प्राकृतिक आहार नहीं होता है। नागपंचमी पर कुछ लोग नाग को दूध पिलाने के नाम पर सांपो पर अत्याचार करते हैं, क्योंकि नागपंचमी के कुछ दिन पहले से ही सपेरे सांपो को कुछ खाने-पीने को नहीं देते है। भूखा औरप्यासा होने के कारण सांप दूध को पी तो लेता है, लेकिन कई बार दूध सांप के फेफड़ों में घुस जाता है, जिससे उसे निमोनिया हो जाता है और इसके कारण सांप की मौत भी हो जाती है।
5. बीन की धुन पर नाचते हैं सांप: सपेरे सांपो को बीन की धुन पर नचाने का दावा करते हैं, जबकि यह बात बिलकुल गलत और अंधविश्वास की है क्योंकि सांप के कान नहीं होते है। दरअसल यह मामला सांपों की देखने और सुनने की शक्तियों और क्षमताओं से जुड़ा है। सांप हवा में मौजूद ध्वनि तरंगों पर प्रतिक्रिया नहीं दर्शाते पर धरती की सतह से निकले कंपनों को वे अपने निचले जबड़े में मौजूद एक खास हड्डी के जरिए ग्रहण कर लेते हैं। सांपों की नजर ऐसी है कि वह केवल हिलती-डुलती वस्तुओं को देखने में अधिक सक्षम हैं बजाए स्थिर वस्तुओं के। संपेरे की बीन को इधर-उधर लहराता देखकर नाग उस पर नजर रखता है और उसके अनुसार ही अपने शरीर को लहराता है और लोग समझते हैं कि सांप बीन की धुन पर नाच रहा है।
6. दो मुंह वाले सांपो का सच: कुछ लोग का मानना है की दो मुंह वाले सांप होते है। जीव विज्ञान के अनुसार, किसी भी सांप के दोनों सिरों पर मुंह नहीं पाया जाते है। हर सांप का एक ही मुंह होता है। कुछ सांपों की पूंछ नुकीली नहीं होती है इस लिए वह मोटी और ठूंठ जैसी दिखाई देती है। चालाक संपेरे ऐसे सांपों की पूंछ पर चमकीले पत्थर लगा देते हैं जो आंखों की तरह दिखाई देते हैं और देखने वाले को यह लगता है कि इस सांप को दोनों सिरों पर दो मुंह हैं।
7. उडऩे वाले सांपों का सच: अपने कभी सुना है की उडऩे वाले सांप भी होते हैं? अपने जरूर कही न कही इस बारे में सुना होगा, लेकिन इसमें कोई सच्चाई नहीं है। जीव विज्ञान के मुताबिक, उडऩे वाले सांप नहीं पाये जाते है। सांप की कुछ ऐसी विशेष प्रजातियां पाई जाती है, जो अधिकांश समय पेड़ों पर गुजरती है। इस प्रजाति के सांपों में एक नैसर्गिक गुण होता है कि ये उछलकर एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर पहुंच जाते हैं, लेकिन इन पेड़ों की दूरी बहुत कम होती है। जब यह सांप उछलकर एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर जाते हैं तो ऐसी लगता होता है कि जैसे यह उड़ान भर रहे है।