कोलकाता। कभी देश की आर्थिक राजधानी रहा कोलकाता शहर कराह रहा रहा है। शहर में व्याप्त अव्यवस्थाओं से जनता जूझ रही है मगर सुनने वाला कोई नहीं है। शहर के सभी हिस्सों चाहे वह सियालदह हो या फिर हावड़ा, बेलूड़ मठ हो या फिर अन्य जगह सड़कें गड्डïों में तब्दील हो गयी हैं। बिजली और पानी का दावा आज भी थोथा ही है।
देश के मेट्रो शहरों में आने वाला कोलकाता में नागरिक सुविधाओं का भयंकर अकाल है मगर सरकार खामोश है। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी चाहे लाख दावे कर लें मगर हकीकत कुछ और ही है। लोग समस्याओं से कराह रहे हैं और उनके खिलाफ जनता का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। लोगों की आमराय बनती जा रही है कि इससे अच्छा तो सीपीएम का ही शासन था कम से कम इतनी बदइंतजामी नहीं थी। रोजगार के नाम पर भी बनर्जी सरकार फेल ही साबित हुई है। जानकारी के अनुसार बंगाल में पिछले दो तीन सालों में करीब 50 हजार से ज्यादा कारखाने बंद हो गये हैं और इनमें काम करने वाले मजदूर भूखों मरने की कगार पर हैं। कारखाने बंद होने से सबसे ज्यादा प्रभावित दूसरे प्रदेशों से आने वाले कामगार ही हुए हैं। बंगाल में बिहार के लोगों की संख्या काफी है और सभी जगह आपको बिहारी काम करते हुए मिल जायेंगे। इस बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कारखाने बंद होने से उनको अब दूसरे काम के लिए भटकना पड़ रहा है। या फिर वह अब अपने प्रदेश को लौट रहे हैं। भ्रष्टïाचार पर जब बात की गयी तो टैक्सी चालक उत्तम मंडल ने कहा कि जब से ममता सरकार आयी है पुलिस का दोहन ज्यादा बढ़ गया है और उनको परेशान किया जाता है। बात-बात पर फाइन लगा दिया जाता है और हालत यह है कि दिनभर में जितनी कमाई नहीं होती उससे ज्यादा फाइन भरना पड़ता है। सरकारी राशन का मामला हो या फिर जनसामान्य सुविधा का सभी का हाल बुरा है और लोगों के मन में ममता के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है।