आपदा से नहीं, नक्सलियों से है रेल पुलों को खतरा

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सुधीर जैन, जगदलपुर। बस्तर में रेल पुलों को प्राकृतिक आपदा से कहीं ज्यादा खतरा नक्सलियों से हैं। प्राकृतिक आपदा से अभी तक बस्तर से होकर गुजरने वाली किरंदुल-कोत्तावालसा रेललाइन में कभी कोई घटना नहीं हुई लेकिन नक्सली लगातार रेल पुलों को निशाना बनाते रहे हैं। हाल के वर्षो में तीन बार नक्सलियों ने नक्सल संवेदनशील किरंदुल सेक्शन में रेल पुलों को निशाना बनाया है और इसमें दो बार मालगाडिय़ों को पुलों से गिराने में सफल भी रहे हैं। एक बार इस लाइन पर चलने वाली किरंदुल-विशाखापट्टनम पैसेंजर भी नक्सलियों के साजिश का शिकार होते-होते बच गई थी। उस समय नक्सलियों ने ही ऐन वक्त पर रेल पुल में प्रवेश करने से पहले ही पटरी पर कांक्रीट स्लीपर डालकर पैसेंजर को रोक लिया था। यदि उस समय थोड़ी भी देरी हो जाती तो एक बड़ा हादसा हो सकता था। रेल प्रशासन की ओर से भी नक्सल प्रभावित इलाकों में रेल पुलों चाहे वो कांक्रीट के हों या लोहे के, की सुरक्षा व संरक्षा के लिए कड़े दिशा निर्देश दिए गए हैं। केके रेललाइन में कोत्तावालसा से लेकर किरंदुल तक 425 किलोमीटर की दूरी पर करीब 12 सौ छोटे-बड़े रेल पुल आते हैं इनमें बस्तर संभाग के मध्य एवं दक्षिण बस्तर जिला दतेंवाड़ा में डेढ़ सौ पुल स्थित हैं। मध्यप्रदेश के हरदा के पास रेल पुल क्षतिग्रस्त होने से दो यात्री ट्रेनों के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना के बाद रेल प्रशासन ने हालांकि पूरे केके रेललाइन में रेल पुलों की सुरक्षा को लेकर सतर्कता बरतने को कहा है पर दो दिन पहले वाल्टेयर रेलमंडल से जारी ताजा निर्देश में बस्तर में आने वाले रेल पुलों की सुरक्षा पर ज्यादा जोर देने की बात कही गई है। वाल्टेयर रेलमंडल में केके रेललाइन के एईएन ऑयरन ब्रिज जीबी कृष्णा के अनुसार भी बस्तर में प्राकृतिक आपदा से कहीं अधिक खतरा रेल पुलों को नक्सलियों से हैं। उनके अनुसार बस्तर में स्थित हर ऑयरन ब्रिज में ट्रेनों की रफ्तार 20 किलोमीटर प्रतिघंटा अधिकतम निर्धारित की गई है। केके रेललाइन स्थित रेल पुलों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। बस्तर में प्राकृतिक आपदा से कम नक्सलियों से रेल पुलों को ज्यादा खतरा है।
दक्षिण बस्तर में रेल पुल नक्सलियों के निशाने पर रहे हैं 29 मार्च 2014 को नक्सलियों ने कमलूर-दंतेवाड़ा के बीच कुपेर के नजदीक स्थित रेल पुल की पटरी उखाड़कर मालगाड़ी के इंजिन व कुछ डिब्बों को पुल से गिरा दिया था। इस घटना के डेढ़ माह बाद 14 मई 2014 को काकलूर-कुम्हारसाडरा के बीच भी पुल को निशाना बनाकर मालगाड़ी पुल से नीचे गिरा दी गई थी। इन दोनों घटनाओं में नक्सली सफल रहे थे। इसके पूर्व 22 जनवरी 2010 को नक्सलियों ने बचेली-भांसी के बीच नेरली ब्रिज में पटरी उखाड़ दी थी और पुल के भी एक स्पॉन के कुछ बोल्ट खोल दिए थे। नक्सलियों की साजिश पुल से छेड़छाड़ कर मालगाड़ी दुर्घटनाग्रस्त करने की थी पर इसी बीच रात साढ़े नौ बजे के आसपास पैसेंजर ट्रेन मौके पर आ गई। पैसेंजर को आती देख नक्सलियों ने आनन-फानन में पुल से कुछ दूर पहले ट्रेक पर कांक्रीट स्लीपर डालकर ट्रेन को पुल में प्रवेश करने से पहले ही रूकने के लिए बाध्य कर दिया। उस दिन यदि स्लीपर नहीं डाले जाते और पैसेंजर ट्रेन पुल में प्रवेश कर जाती तो बड़ा हादसा हो सकता था।