ब्रह्माण्ड: नहीं इसका कोई ओर-छोर

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आशीष श्रीवास्तव।
मान लीजिये कि आपके मन में कभी न कभी यह प्रश्न आया होगा कि ब्रह्माण्ड के बाहर क्या है। खगोलशास्त्री जानते हैं कि बिग बैंग के पश्चात से ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है, लेकिन यह विस्तार किसमें हो रहा है? किसी भी खगोल शास्त्री से आप यह प्रश्न पूछें, आपको एक असंतोषजनक उत्तर मिलेगा। इस प्रश्न का छोटा उत्तर है कि यह एक निरर्थक एवं बेहूदा प्रश्न है। ब्रह्माण्ड की परिभाषा है कि वह सब कुछ समेटे हुए है। यदि ब्रह्माण्ड के बाहर कुछ है अर्थात वह भी ब्रह्माण्ड का ही भाग है। उसके बाहर? उसके बाहर, वह भी ब्रह्माण्ड में ही है। आप पूछते जाइये, उत्तर ब्रह्माण्ड ही मिलेगा।
ब्रह्माण्ड के बारे में दो संभावनायें हैं, पहली कि वह अनंत है, उसकी कोई सीमा नहीं है। दूसरी संभावना है कि ब्रह्माण्ड सीमित है, सीमित आयतन है। लेकिन दोनों ही संभावनाओं में ब्रह्माण्ड का कोई छोर या कोई सिरा संभव नहीं है। जब भी हम बिग बैंग घटना की कल्पना करते हैं तब हम एक विस्फोट की कल्पना करते हैं, जिसमें एक बिंदु से पदार्थ बिखरते हुए दिखाती देता है। लेकिन यह उपमा या उदाहरण सही नहीं है। बिग बैंग का अधिक सही उदाहरण किसी फूलते गुब्बारे की सतह है। इस उदाहरण मे आप त्रिआयामी गुब्बारे के बारे में ना सोच कर द्विआयामी गुब्बारे के बारे कल्पना करें। यदि आप किसी विशालकाय गुब्बारे की सतह पर चलती चींटी हैं और वह गुब्बारा समस्त ब्रह्माण्ड है तब आपको अपने पैरों के नीचे वह गुब्बारा सपाट ही लगेगा। अब मान लीजिये कि वह गुब्बारा फूल रहा है। अब आप किसी भी दिशा मे देखें तो पायेंगे कि अन्य चींटियां आपसे दूर जा रही हैं। वे जितनी ज्यादा दूर हैं, वे आपसे उतनी ज्यादा तेजी से दूर जाती दिखायी देंगी। यह गुब्बारा आपको सपाट सतह जैसा लगेगा लेकिन आप किसी भी दिशा में चलना प्रारंभ करें, आप अपने शुरुआती बिंदु पर पहुंच जायेंगे।
गुब्बारे का केंद्र हो सकता है लेकिन उसकी सतह का कोई केंद्र बिंदु नहीं है। वह एक ऐसा आकार है जो हर दिशा में विस्तृत है और अपने आप में सिमटा हुआ है। आपकी इस गुब्बारे की हर परिक्रमा पिछली परिक्रमा से बड़ी है क्योंकि गुब्बारा फूलता जा रहा है।
अब इसे अपने ब्रह्मांड से जोड़कर देखते हैं, उसके लिये हमें एक आयाम से दो आयाम, दो आयाम से तीन आयाम और तीन आयाम से चार आयाम में सोचना होगा। यदि आप अंतरिक्ष बहुत दूर देख रहे हैं तो आप अपने सिर के पिछले भाग को देख रहे हैं। ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है, जिससे आपको ब्रह्मांड की परिक्रमा कर प्रारंभ बिंदु पर पहुंचने मे हर बार पिछली बार से अधिक समय लगेगा। लेकिन आप किसी भी दिशा में यात्रा करने पर आप ब्रह्माण्ड के बाहर नहीं जा सकते। यदि आप प्रकाश गति से भी तेज यात्रा करें तब भी आप अपने प्रारंभिक बिंदु पर शीघ्र पहुंच जायेंगे लेकिन ब्रह्माण्ड के बाहर नहीं। ब्रह्मांड का कोई छोर नहीं है, उसका किसी भी वस्तु में विस्तार नहीं हो रहा है, केवल ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है।