खत्म होगी राजभवन की रार: एमएलसी सूची को मिलेगी हरी झंडी

rah bhawan up
विशेष संवाददाता,
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार और राजभवन में विधान परिषद के पांच नामों पर लेकर छिड़ी रार जल्द ही खत्म हो सकती है। सरकार द्वारा पांचों सदस्यों के संदर्भ में उपलब्ध कराई गए सूचनाओं की समीक्षा के बाद राजभवन चार नामों पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हो चुका है। केवल जाने माने बिल्डर संजय सेठ के मामले में समीक्षा और जांच पूरी नहीं होने के चलते राजभवन को निर्णय लेने में देरी हो रही है। राजभवन अब टुकड़ों में विधान परिषद सदस्यों के मनोनयन की बजाय एक साथ ही सभी नामों पर अपनी सहमति जताने की सोच रहा है। राजभवन के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नौ विधान परिषद सदस्यों के लिए सरकार द्वारा भेजे गए नामों में से राज्यापाल राम नाईक ने चार सदस्यों के मनोनयन को अपनी स्वीकृति दे दी थी। जिसमें एसआरएस यादव, जीतेन्द्र यादव, रामवृक्ष सिंह यादव और लीलावती कुशवाहा को विधान परिषद के लिए नामांकित किया था और उन्होंने विधान परिषद सदस्य के तौर पर शपथ भी ग्रहण कर ली है।
शेष पांच सदस्यों के संदर्भ में आई सैकड़ों शिकायतों की वजह से राज्यपाल ने अपनी टिप्पणी के साथ इन शिकायतों से संबंधित जानकारी तथा स्पष्टीकरण राज्य सरकार से मांगी थी। प्रदेश सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गए जानकारी एवं सूचनाओं का राज्यपाल ने गहन परीक्षण करवाया। सभी तथ्यों से संतुष्ट होने के बाद राज्यपाल ने चार नामों के मनोनयन पर अपनी सहमति दे दी है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राजभवन से विधान परिषद सदस्यों को हरी झंडी मिलने में देरी केवल संजय सेठ के मामले को लेकर हो रही है। सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल ने पिछले दिनों संजय सेठ के फर्मों पर पड़े आयकर छापों के कारण आयकर विभाग को पत्र लिखकर इस संदर्भ में कई बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी। राज्यपाल यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि संजय सेठ पर किसी प्रकार के आर्थिक अनियमितता का मामला तो नहीं बनता है। हालांकि राजभवन द्वारा मांगी गई बिंदुओं पर अभी आयकर विभाग पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं करा सका है, जिसकी वजह से अन्य नामों को घोषित करने में देर हो रही है। आयकर विभाग से सूचनाएं मिलने तथा उनका परीक्षण कराने के बाद राज्यपाल अगर संतुष्ट होंगे तो शेष बचे पांच नामों को अपनी हरी झंडी दे देंगे। अगर संजय सेठ के मामले में कोई दिक्कत सामने आती है तो फिर चार सदस्यों को ही मनोनित किया जाएगा। संभावना है कि आयकर विभाग से समस्त जानकारी मिलते ही राज्यपाल परीक्षण कराकर विधान परिषद के शेष सदस्यों के मनोनयन पर अपना फैसला सुना देंगे।