साहूकारों से तंग महिलाओं ने खोला बैंक

Mahila Bank
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के शंकरपुर गांव की एक महिला ने 1997 में इलाके की महिलाओं की आर्थिक मदद करने का काम शुरू किया जो आज अपने दम पर खेती कर तीन करोड़ रुपए से ज्यादा का टर्नओवर कर रही हैं। दरसअल इस गांवों में रहने वाले महिलाएं महाजनों के चंगुल में ऐसे जकड़ी रहती थी कि कर्ज और उसका ब्याज चुकाने में ही लोगों की जिंदगी बीत जाती थी। ऐसे में माधुरी ने ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन के साथ मिलकर महिला शक्ति संगठन बनाया। आज इस संगठन की सदस्य महिलाओं का खुद का एक बैंक और यूबीआई बैंक में खाता है।
माधुरी के मुताबिक जब वह 1997 में शंकरपुर में परिवार नियोजन के लिए काम कर रही थीं तो देखा कि महिलाएं साहूकारों से लिए कर्ज के बोझ से परेशान हैं। वह इन महिलाओं को कर्ज के जाल से मुक्त कराना चाहती थीं। इसमें ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन के प्रमुख डॉ. रजनीकांत ने उनकी मदद की। रजनीकांत की सलाह पर माधुरी ने 12 महिलाओं से कहा कि वे रोज एक मु_ी अनाज और एक आलू बचाएं। इस तरह जब महीने में अनाज और आलू इक_ा हुआ, तो उसे बेचकर कुछ रकम आई। इस रकम को बैंक में जमा कराया गया। इस तरह से कारवां बढ़ता गया और आज 2247 महिलाएं उनके संगठन की सदस्य हैं।
माधुरी ने कहा कि उनकी ओर से शुरू इस अभियान से लगातार महिलाएं जुड़ती गईं। महिलाओं ने अपना खुद का बैंक बना लिया। इसमें वे अपनी बचत जमा करती हैं और रोजगार के लिए बैंक से उन्हें लोन भी मिलता है। माधुरी के मुताबिक अब तक वे करीब एक हजार महिलाओं को साहूकारों के कर्ज से मुक्त करा चुकी हैं। समूह की सदस्य संजू मौर्या ने बताया कि इस अनूठे बैंक के जरिए चिरईगांव ब्लॉक की महिलाओं ने अच्छे दिन का सपना हकीकत में बदला है। संजू के मुताबिक उनपर भी हजारों का कर्ज था, जिसे उन्होंने चुकता कर दिया। इस बैंक से अब 40 गांवों की महिलाएं जुड़ गई हैं।
महिला समूह बैंक को चलाने के लिए गांव में 10-20 महिलाओं का अलग अलग समूह बनाया जाता है। समूह की हर सदस्य हर महीने अपनी बचत बैंक में जमा करती है। ये रकम सदस्यों में से ही किसी एक के पास रहती है। फिर रोजगार और खास जरूरत पर सदस्य को इसी रकम में से लोन दिया जाता है। इसके लिए महज दो फीसदी ब्याज लिया जाता है। जबकि आमतौर पर महाजन हर महीने 10 फीसदी ब्याज दर पर कर्ज देते थे। कम ब्याज दर होने से महिलाओं को इसे चुकाने में भी आसानी होती है। ब्याज की रकम भी जमा रखी जाती है। इसी तरह काम आगे बढ़ रहा है। स्थानीय यूबीआई बैंक के मैनेजर अविनाश कुमार झा ने बताया कि उनकी शाखा भी अब महिलाओं को रोजगार के लिए लोन दे रही है। 400 महिलाओं को भूमिहीन कार्ड दिया गया है। जिनके पास खुद की जमीन नहीं है, उन्हें भी रोजगार के लिए समूह के जरिए 25 हजार रुपए तक का लोन दिया जा रहा है। बैंक में 721 महिलाओं के खाते भी हैं।