बर्खास्त सिपाही व होमगार्ड भी चला रहे गिरोह

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योगेश श्रीवास्तव
लखनऊ। पुलिस मोहकमे के बर्खास्त लोग ही उसकी साख पर बट्टïा लगाने में लगे है। बर्खास्तगी के बाद वे लूट और उसके लिए हत्या जैसी संगीन घटनाओं को अंजाम देने में लगे है। राजधानी सहित सूबे में लगातार हो रही लूट के दौरान हत्या जैसी संगीन वारदातों के पीछे बर्खास्त सिपाही व होमगार्डों का भी मजबूत नेटवर्क काम कर रहा है। वहीं पुलिस के कुछ मुखबिर भी बर्खास्त पुलिसकर्मियों और होमगार्डो के साथ चलाए जा रहे लूट गिरोह का न सिर्फ हिस्सा बना हुए बल्कि पुलिस जांच को भी भटका रहे है। इसकी नजीर पर एक नजर डालें तो पूर्व में कई दागदार खाकी वाले लूट और हत्या के आरोप में पकड़े जा चुके हैं। पूर्ववर्ती मुलायम सिंह यादव की सरकार में मु यमंत्री की सुरक्षा में तैनात एक पुलिसकर्मी को सोना लूटकांड में गिर तार किया गया था। बाद में उसकी संलिप्तता भी सामने आई थी। कहने का तात्पर्य बर्खास्त पुलिसकर्मी या सेवा में रहते हुए अपराधिक प्रवृति के पुलिसकर्मी हमेशा से इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते रहे है।
राजधानी के अलावा यूपी के किसी न किसी जिले में हर दूसरे दिन लूट जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा हैं। सूत्रों की तो पूर्व में आशियाना में हुए सोना लूटकांड में बर्खास्त हो चुके दो सिपाही कई अपराधियों का दामन थाम कर गिरोह का सहयोग कर रहे हैं। पुलिस विभाग की छवि धुमिल करने वाले सिपाही शैलेन्द्र खूंखार अपराधियों के बीच पिछले कुछ साल से अपना बड़ा नेटवर्क खड़ा किया है। इन दागदार खाकी वालों के चलते पुलिस अफसर ही नहीं अवाम भी दहशत के साये में गुजर-बसर करने के लिए मजबूर है। पुलिस के मुखबिर रहे शेखर और राणा नाम के श स राजधानी में सक्रिय थे। वह पूर्वी क्षेत्र से लेकर पश्चिमी इलाके में छुटभईयों अपराधियों के सरपरस्त बने रहे। पूर्व में एसटीएफ का दरोगा बनकर वसूली करने के आरोप में पकड़ा गया पुलिस का मुखबिर शेखर कई चेन लुटेरों का शरणदाता था। वहीं पश्चिमी इलाके का रहने वाला मुखबिर विजय भी अपना गिरोह चलाकर वारदात को अंजाम देेेने में बाज नहीं रहा। सूत्रों के मुताबिक कुछ दागदार सिपाही और होमगार्ड एक बार फिर सूबे में सक्रिय हो चले हैं,जिनकी गर्दन तक पुलिस नहीं पहुंच पा रही है। पुलिस मोहकमे के आला अधिकारी ने बताया कि हसनगंज क्षेत्र में 27 फरवरी को एटीएम बूथ पर हत्याकर 50 लाख की लूट या फिर सरोजनीनगर में 22 जून को कैशवैन के गार्ड की हत्याकर 17 लाख रूपये की लूट,कैसरबाग में कैशवैन से हुई लूट या शुक्रवार को उन्नाव जिले में करोड़ो का सोना लूटकांड मामलों में अधिकतर पुलिस विभाग का कोई दागदार पुलिसकर्मी या बैंकों के कर्मचारियों से मिलीभगत से वारदात को अंजाम देने की बात सामने आई हैं। वहीं बड़ी घटना के के बाद के बाद सूबे की पुलिस उन बदमाशों पर अपनी पैनी नजर रखकर लुटेरों की तलाश करती है,जो सूचीबद्घ होते हैं। कहावत है कि घर का भेदी लंका ढहाये, लेकिन पुलिस अफसरों की निगाहें उन पर शायद नहीं पहुंचती। सवाल है कि जब-जब पुलिस गुडवर्क कर पेशेवर अपराधियों को पकड़ कर सलाखों के पीछे भेजती है तो इसमें ज्यादातर वहीं होते हैं जिनका अपराधिक इतिहास होता है। हसनगंज एटीएम पर दिनदहाड़े तीन लोगों की हत्या और उन्नाव में हुई वारादात पर भी पुलिस की निगाह सूचीबद्घ अपराधियों पर ही टिकी हुई है। लिहाजा पुलिस की अभी तक उन दागी पुलिसकर्मियों पर शक की सुई नहीं घूमी जो पूर्व में कई वारदात को अंजाम देकर पुलिस की छवि धूमिल कर चुके हैं।