असमंजस में सरकार: नवगठित पंचायतें बनीं गले की हड्डी

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लखनऊ। सूबे के सबसे बड़े त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर प्रदेश सरकार असमंजस में फंसी है। सूत्रों की माने तो प्रदेश सरकार ने 59 हजार से अधिक ग्राम प्रधानों एवं साढ़े सात लाख ग्राम पंचायत सदस्यों के आरक्षण को अभी अग्रिम आदेशों तक स्थगित कर दिया है। सरकार के समक्ष सबसे बड़ी संमस्या नव गठित पंचायतों को लेकर है। सरकार इन पदों के लिए पुरानी व्यवस्था में बदलाव करना चाहती है। वहीं जन्माष्टमी के अवकाश के बावजूद पांच सितम्बर को क्षेत्र पंचायत एवं जिला पंचायत सदस्यों और ब्लाक प्रमुखों की सीटों के आरक्षण की अनन्तिम सूची जारी कर दी गई।
प्रदेश सरकार द्वारा बीडीसी, डीडीसी एवं ब्लााक प्रमुखों के पदों पर आरक्षण चक्रानुक्रम के अनुसार तय किया है। इस आरक्षण पर आपत्तियां और सुझाव देने का समय दस सितंबर तक दिया गया है। इसके इन पदों के लिए आरक्षण की अंतिम सूची का प्रकाशन कर दिया जायेगा। जबकि ग्राम प्रधानों एवं ग्राम पंचायत सदस्यों का कार्यकाल सात नवम्बर को पूरा होना जा रहा है। लेकिन इनके आरक्षण को लेकर सरकार असमंजस में है। इन पदों के लिए पूर्व में किये गए आरक्षण सरकार के गले नहीं उतर रहा है। सबसे बड़ी दिक्कत नवगठित करीब आठ हजार से अधिक पंचायतों को लेकर है। बसपा सरकार द्वारा तय की गई आरक्षण व्यवस्था के तहत इन नयी पंचायतों में सबसे पहले अनुसूचित जन जाति को मौका मिलना चाहिए। यदि इस जाति की अनुपलब्धता है तो नयी पंचायतों में अनुसूचित जाति को मौका देने की व्यवस्था है। इस तरह नयी पंचायतों में एसटी एवं एससी के प्रधान ही निर्वाचित हो सकेंगे। प्रदेश सरकार इस व्यवस्था में बदलाव करना चाहती है। ऐसे में अब निर्धारित समयावधि में इन पदों पर चुनाव नहीं हो पायेंगे।
पंचायती राज विभाग के प्रमुख सचिव चंचल तिवारी ने ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत सदस्यों के आरक्षण को स्थगित करने का शासनादेश शनिवार रात को जारी कर दिया जबकि अन्य सीटों के आरक्षण की अनन्तिम सूची का प्रकाशन कर दिया है। माना जा रहा था कि दो सितंबर के बाद पंचायती राज विभाग छह को पंचायत चुनाव की सभी सीटों पर आरक्षण की अंतिम सूची का प्रकाशन कर देगा। लेकिन सपा सरकार और ग्राम्य विकास विभाग के आला अधिकारियों के बीच मैराथन बैठके सम्पन्न होने के बाद यह तय हुआ कि अभी ग्राम प्रधान व सदस्य ग्राम पंचायत के चुनाव टल दिए जाये।
निदेशक पंचायती राज उदयवीर सिंह यादव ने बताया कि प्रधान व ग्र्राम पंचायत सदस्य का आरक्षण अग्रिम आदेशों तक स्थगित करने काआदेश किया गया है। जिला व क्षेत्र पंचायतों के सदस्यों की आरक्षण सूची को लेकर 10 सितंबर तक आपत्तियां मांगी गयी है। इसके उपरांत आयी आपत्तियों का निस्तारण कर अंतिम सूची जारी होगी। उन्होंने बताया कि जिला पंचायत एवं क्षेत्र पंचायत चुनाव प्रक्रिया डेढ़ माह में पूरी हो जायेगी। ग्राम प्रधानों का कार्यकाल अभी सात नवंबर 2015 तक है। ऐसे में जिला पंचायत, बीडीसी की चुनावी प्रक्रिया पूरी होते ही आगे की कार्रवाई पूरी कर ली जायेगी। प्रथम चरण में क्षेत्र और जिला पंचायत सदस्यों का चुनाव कराया जायेगा