जिला प्रशासन और पुलिस महकमें कर रहे एलडीएम का मुफ्त इस्तेमाल

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लखनऊ। यूपी के 2000 बैच के आईएएस अधिकारी रणवीर प्रसाद का बनाये साफ्टवेयर भूमि विवाद प्रबंधन (एलडीएम-लैंड डिस्प्यूट मैनेजमेंट) ने जिलों के प्रशासनिक कामकाज और जनता की शिकायतों के निपटारे को बेहद आसान कर दिया है। इस साफ्टवेयर से शिकायतों के दोहराव और उनके निपटारे की निगरानी दोनों पर नजर रखी जा सकती है। विशेषज्ञ कह रहें है कि इस साफ्टवेयर का प्रयोग हर जिले के प्रशासन को करना चाहिए।
कानपुर आईआईटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक रणवीर प्रसाद ने सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ जिले का डीएम रहते हुए एलडीएम को विकसित किया था। उनका मकसद इसकी मदद से जमीन से जुड़े विवादों और राजस्व मामलों के निपटारा था। इसकी उपयोगिता को देख कर पुलिस महकमें ने भी ऐसे ही साफ्टवेयर की जरूरत बतायी। विभाग की जरूरत के मुताबिक रणवीर प्रसाद ने एलडीएम में बदलाव किया, और निशुल्क प्रयोग के लिए आजमगढ़ की जिला पुलिस को दे दिया। रणवीर प्रसाद ने कहा कि डीएम के रूप में काम करते समय देखा गया कि एक ही शिकायत कई जगहों से आ रही है। जिससे दोहराव हो रहा है साथ ही उनके निपटारे की प्रक्रिया पर निगाह रखना भी आसान संभव नही है। अलग-अलग गांव में किस तरह की समस्याएं प्रशासन के पास आ रही है इसका ब्यौरा भी नही था। इसी दौरान इस तरह के प्रोग्राम बनाने वाली निजी कंपनियों के साफ्टवेयर का अध्ययन करने में देखा की किसी में भी पूरी सुविधाएं नही है। प्रशासनिक दिक्कतों और जरूरतों को ध्यान में रख कर खुद ही समय निकाल कर काम करने लगा। एक डीएम के रूप में जितनी भी समस्याएं आ रही थी उसे साफ्टवेयर में शामिल करता गया। दो महीने पहले ट्रायल करने में पाया कि साफ्टवेयर ठीक काम कर रहा है। रणवीर ने कहा कि साफ्टवेयर का नाम लैंड डिस्प्यूट मैनेजमेंट रख दिया। क्योंकि साफ्टवेयर बनाने का शुरूआती मकसद भूमि विवादों को निपटाना था। रणवीर ने कहा कि तमाम मामलों में परेशान व्यक्ति एक प्रार्थना पत्र डीएम को देता था तो वही एसपी को एसडीएम और जनप्रतिनिधियों को भी दे देता था। जिससे समस्याओं का अंबार नजर आता था। लेकिन साफ्टवेयर में शिकायत दर्ज होने के बाद उससे जुड़े सभी बिन्दु शामिल हो जाते थे। बेहद उपयोगी साफ्टवेयर बनाने वाले आईएएस अधिकारी रणवीर प्रसाद इस समय उप्र मनरेगा सेल में तैनात है। आईआईएम लखनऊ के निदेशक डा.भरत भास्कर ने कहा कि प्रशासनिक सेवा में आने के बाद अपने ज्ञान को जनता की सहूलियत के लिए इस्तेमाल अच्छा कदम है इससे लोगों को प्रेरणा लेनी चाहि। याद रहे उप्र के आईएएस अधिकारी आमोद कुमार ने जनवाणी साफ्टवेयर से लोगों की शिकायतों के निपटारे को गति दी थी। जिसका इस्तेमाल हो रहा है।
पुलिस महकमें ने भी शुरू किया इस्तेमाल
आजमगढ़ पुलिस समस्याओं के शिकायती पत्रों की जानकारी पीडि़त को उसे घर बैठे दे सकेगी। साफ्टवेयर में शिकायत दर्ज होते ही थाना और शिकायतकर्ता से सीधे जुड़ जाएगा। आजमगढ़ के एसपी आकाश कुलहरि ने बताया कि साफ्टवेयर से कार्यालय में जनता से प्राप्त होने वाले प्रार्थना पत्रों को आनलाइन दर्ज किया जाएगा और संबंधित थानों को आनलाइन स्थानांतरित कर दिया जाएगा। थानों से उससे संबंधित रिर्पोट आने पर आनलाइन की जाएगी। शिकायत आनलाइन होते ही 4-5 घंटे बाद शिकायतकर्ता के मोबाईल पर एक मैसेज आएगा जिसमें उसकी क्रम संख्या, विवेचक का नाम, और मोबाइल नंबर होगा। इससे शिकायतकर्ता घर बैठे विवेचक से अपने प्रार्थना पत्र की स्थिति का पता लगा सकता है।