आरबीआई से पंगा: सहारा का फाइनेंशियल कारपोरेशन लाइसेंस रद्द

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कानपुर। सहारा इंडिया को एक और बड़ा झटका लगा है। वित्तीय अनियमितताओं और रिजर्व बैंक के निर्देशों की अनदेखी में सहारा समूह की प्रमुख कंपनी सहारा इंडिया फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। यह कार्रवाई नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन (एनबीएफसी) की निगरानी करने वाले आरबीआई के डिपार्टमेंट ऑफ नॉन बैंकिंग सुपरविजन के कानपुर कार्यालय ने तीन सितंबर को की। इसका आदेश कंपनी के कपूरथला स्थित ऑफिस को भी भेज दिया गया है। अब कंपनी किसी भी प्रकार का लेन-देन नहीं कर सकेगी।
सहारा इंडिया फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईएफएल) का काम एजेंटों के जरिए पैसा जमा करना था। इसके एवज में निवेशकों को ब्याज देने का दावा किया जाता था। लखनऊ स्थित कपूरथला कॉम्प्लेक्स के पते पर कंपनी रजिस्टर्ड है। तमाम वित्तीय अनियमितताओं के चलते वर्ष 2008 में आरबीआई ने इस कंपनी में लोगों के पैसे जमा किए जाने पर रोक लगा दी थी। वित्तीय अनियमितताओं के ही चलते सुप्रीम कोर्ट ने भी इस कंपनी पर शिकंजा कसा था। आरबीआई की चेतावनी के बावजूद इस कंपनी में एनबीएफसी के लिए बनाए गए नियमों का लगातार उल्लंघन जारी था। इधर, भुगतान न मिलने पर जमाकर्ताओं ने आरबीआई से शिकायत की थी। इसकी जांच कराकर रिपोर्ट आरबीआई के मुंबई मुख्यालय भेजी गई थी। मुख्यालय के निर्देश पर डिपार्टमेंट ऑफ नॉन बैंकिंग सुपरविजन ने इसका लाइसेंस रद्द कर दिया। सूत्रों के मुताबिक कॉरपोरेशन पर लगभग 1088 करोड़ रुपए अभी भी निवेशकों का बकाया है। निवेशकों की रकम वापस करने के लिए कंपनी को जून तक का समय दिया गया था। कंपनी प्रबंधन का दावा था कि किसी तरह की देनदारी उन पर नहीं है। इस पर आरबीआई ने 1088 करोड़ रुपए की फेहरिस्त तैयार की थी, जो कंपनी पर बकाया थे। इसी रकम की वापसी के लिए आरबीआई ने जून तक का अल्टीमेटम दिया था। इस पर अमल न करने की वजह से सर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन निरस्त कर दिया गया। प्रदीप कुमार कर, महाप्रबंधक (डिपार्टमेंट ऑफ नॉन बैंकिंग सुपरविजन), रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, कानपुर कार्यालय ने कहा है कि वित्तीय अनियमितताओं और एनबीएफसी के संबंध में आरबीआई के नियमों के उल्लंघन पर यह कार्रवाई की गई है। लोगों को अपना पैसा वापस पाने में यदि कोई दिक्कत आती है तो वे आरबीआई से शिकायत कर सकते हैं।