माउंटेन मैन के बाद वॉटरमैन: मोड़ी नदी की धारा


इलाहाबाद। माउंटेनमैन के नाम से मशहूर दशरथ मांझी ने पहाड़ का सीना चीरकर रास्ता बना दिया था। उनके ऊपर बनी फिल्म ने उन्हें पूरी दुनिया में लोकप्रिय कर दिया। ठीक ऐसी ही एक कहानी है प्रतापगढ़ के वाटरमैन की। उन्होंने ग्रामीणों की मदद से करीब 18 किमी खुदाई कर बकुलाही नदी की धारा को मोड़ दिया। उनके इस कारनामे से दो लाख ग्रामीणों को खुशहाली का रास्ता मिला। जेठवारा थाना क्षेत्र के करीब 40 गांव पेयजल के संकट से जूझ रहे थे। हालत इतनी गंभीर हो गई थी कि लोगों ने पलायन करना शुरू कर दिया था। वहां के ग्रामीण आला-अफसरों के चक्कर काटते-काटते थक गए। ऐसे में समाज शेखर नाम के एक युवक ने खुद ही हाथों में फावड़ा उठा लिया। धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाने लगी। पांच सालों तक रात-दिन मेहनत कर करीब 18 किमी तक गहरी खुदाई कर नदी की धारा को मोड़ दिया। इस काम में 20 गांवों के करीब 10 हजार से ज्यादा लोगों ने भी मदद की। एक वक्त था, जब इस गांव में लोग अपनी बेटियों की शादी नहीं करना चाहते थे। यहां की महिलाओं को पानी लेने के लिए करीब तीन किमी दूर जाना पड़ता था। पानी नहीं होने की वजह से खेती नहीं हो पाती थी। ऐसे में समाज शेखर ने यहां के हालात देखे। उन्होंने किसानों के दर्द को अपना बना लिया और इस परेशानी को दूर करने का फैसला लिया। 28 अगस्त 2011 को समाज शेखर ने इलाके के पास से गुजर रही बकुलाही नदी की धारा को मोडऩे का बीड़ा उठाया। धीरे.धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी। उनके जज्बे को देख ग्रामीण भी इस काम में जुट गए। जहां समाज शेखर के पास गिनती के हाथ थे, वहां हजारों लोग उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस मुहिम में लग गए। 23 जून 2015 को 18 किलोमीटर नहर बना कर समाज शेखर ने इतिहास रच दिया। आज उन्हें वाटरमैन के नाम से पुकारा जाता है। उनके इस काम की तारीफ चारों तरफ हो रही है।