मिशन 2017: कांग्रेस भी कील कांटा दुरूस्त करने में लगी

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योगेश श्रीवास्तव
लखनऊ। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का जो भी हश्र हुआ हो लेकिन डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर बाकी दलों से पीछे नहीं है। भले ही कांग्रेस के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती नंबर एक पर आने से ज्यादा मुख्य लड़ाई में शामिल होने की हो लेकिन बावजूद इसके धरने-प्रदर्शन और रैलियां कर वह जनता के बीच अपने को बेहतर विकल्प के रूप में पेश करने में पूरे मनोयोग से लगी है। प्रत्याशियों के चयन के लिए केन्द्रीय नेतृत्व की ओर से सभी जिलों आब्जर्वर भेजे गए है जो संभावित
उम्मीदवारों के साथ जिले के पदाधिकारियों से भी मिल रहे है। यूपी में बेहतर प्रदर्शन करने की गरज से इस बात की भी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि आने वाले दिनों में संगठन में व्यापाक फेरबदल किया जा सकता है। मौजूदा नेतृत्व की अगुवाई में लोकसभा के साथ विधानसभा के उपचुनाव भी लड़े गए लेकिन परिणाम काफी निराशाजनक ही रहे। आगामी 21 सितंबर से मथुरा में शुरू हो रही कार्यशाला जिसमें प्रदेश के पदाधिकारी भी हिस्सा ले रहे है। माना जा रहा है कि इस कार्यशाला पंचायत चुनावों के साथ-साथ विधानसभा चुनावों को लेकर संभावित रूपरेखा तैयार की जाएगी। ढाई दशक से ज्यादा से यूपी में राजनीतिक वनवास झेल रही कांग्रेस में अपने पुराने दिनों में लौटने की छटपटाहट साफ देखी जा सकती है। कांग्रेस काफी दिनों विधानसभा में चौथीपायदान पर खड़ी है। कांग्रेस के राष्टï्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी वैसे भी कांगे्रस की कार्यशैली को लेकर खासे नाराज है। अपनी नाराजगी वह कई बार सार्वजनिक भी कर चुके है। लेकिन कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व पर केन्द्रीय नेताओं की नसीहतों का कोई असर नहीं है। राहुल गांधी की नाराजगी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 17 अगस्त को प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज जिसमें प्रदेशााध्यक्ष डा.निर्मल खत्री सहित दर्जनों पदाधिकारी कार्यकर्ता चोटिल हुए लेकिन 18 अगस्त को अमेठी रवाना होने से पूर्व लखनऊ में एयरपोर्ट पहुंचे राहुल गांधी ने किसी कार्यकर्ता का हाल जानने की जरूरत नहीं समझी। पार्टी सूत्रों की माने तो इस बार टिकट वितरण में जिले की इकाइयों द्वार नाम सुझाने और पर्यवेक्षकों द्वारा उस पर मुहर लगाने के बाद भी केन्द्रीय चुनाव समिति टिकट के दावेदारों से यह भी पूछेगी कि क्षेत्र में कांग्रेस को मजबूती देने की दिशा में अब तक क्या-क्या किया। जिताऊ टिकाऊ के साथ ही उम्मीदवारों के चयन में यह भी देखा जाएगा कि कौन कहां किसको टक्कर देने की हैसियत में होगा।