लखीमपुर में बुखार से 2 बच्चों की मौत, 9 बच्चे आईसीयू में

Japanese-Encephalitis
लखीमपुर। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में बुखार जानलेवा बन रहा है। जिला अस्पताल में इलाज के लिए आए बुखार पीडि़त दो बच्चों की रविवार सुबह मौत हो गई। एक और बच्चे में जापानी बुखार की पुष्टि हुई है। अब तक जिले में 40 बच्चों में जापानी बुखार की पुष्टि हो चुकी है। दो बच्चों को लखनऊ रेफर किया गया और 9 बच्चे आईसीयू में भर्ती हैं। बेलवा गांव में रहने वाले कैलाश के 6 वर्ष के बेटे मनोज को जिला अस्पताल के चिल्ड्रेन वार्ड में भर्ती कराया गया था। मनोज तेज बुखार और झटके से परेशान था। भर्ती होने के महज 45 मिनट बाद ही उसकी मौत हो गई। इसी तरह सम्पूर्णानगर के गांव शास्त्रीनगर में रहने वाले मलखान की 5 वर्ष की बेटी निशा को भी तेज बुखार हो गया। परिवार वाले उसे पलिया सीएचसी ले गए। हालत गंभीर होने पर उसे जिला अस्पताल लाया गया, मगर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचते ही उसने दम तोड़ दिया। जिले में जापानी बुखार से प्रभावित होने वाले बच्चों की संख्या 40 तक पहुंच गई है। अस्पताल में एक दिन पहले भर्ती होने वाले शिवा में भी जापानी बुखार की पुष्टि हुई। इसे अस्पताल में बने आईसीयू में भर्ती किया गया। आईसीयू में भर्ती होने वाले बच्चों की संख्या 11 हो गई थी। दो बच्चों की हालत ठीक होने पर उसकी छुट्टी कर दी गई। आईसीयू में अब नौ बच्चे रह गए हैं। जिला अस्पताल में तेज बुखार और झटकों से परेशान पांच और बच्चों को भर्ती किया गया। भर्ती होने वाले बच्चों में गांव चौधनपुर में रहने वाले नफीस का 3 साल का पुत्र आमिर, लोकिया में रहने वाले विक्रम की 12 वर्ष की पुत्री शिवानी, अग्गरखुर्द में रहने वाले सफीक का 12 वर्ष का पुत्र अंकित, शंकरपुर में रहने वाले शिवराज की 10 वर्ष की पुत्री सोनी, झामपुरवा के रहने वाले मुशीर का 4 वर्ष का पुत्र हुसनैन शामिल है।लखनऊ मंडल में खीरी अकेला जापानी इंसेफलाइटिस प्रभावित जिला है। बावजूद यहां भर्ती बच्चों की कराह और चीख एड़ी, जेड़ी और निदेशक तक नहीं पहुंच रही। इसकी वजह यहां के स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की रिपोर्टिग है। स्वास्थ्य विभाग के अफसर ऊपर से जो रिपोर्ट भेज रहे हैं, उसमें सिर्फ जेई और एईएस के आंकड़ों, मौतों का हवाला दे रहे हैं। उन मौतों के बारे में बता ही नहीं रहे है, जो बेनाम बुखार से हो रही है। गोला के हफीजपुर और कुकरा में लगातार मौतों के बाद भी अफसरों की पेशानी पर जरा भी बल नहीं पड़ा है। जिला अस्पताल के बदतर हालात, जिले में बुखार का कसता पंजा और स्वाथ्य विभाग की बेख्याली जिले के माननीयों का माथा भी ठनका नहीं सकी है। खीरी जिले के किसी भी माननीय ने अस्पतालों का हाल नहीं देखा है। हालत यह है कि चार सांसदों और आठ विधायकों वाले इस जिले में मासूमों का दर्द समझने कोई नहीं पहुंचा है।