कांग्रेस की विचारधारा आरएसएस जैसी नहीं: राहुल गांधी

rahul in mathura
मथुरा। मिशन यूपी पर मंथन के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सोमवार को मथुरा पहुंच चुके हैं। एक दिन के चिंतन शिविर में पहुंचे राहुल प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी नेताओं से मुलाकात करेंगे जबकि इससे पहले वह बांके बिहारी मंदिर गए और भगवान कृष्ण के दर्शन किए। जानकारी के मुताबिक, राहुल गांधी ने प्रदेश कांग्रेस समिति के आग्रह में आखिरी समय में मंदिर जाने का फैसला किया। उनके कार्यक्रम में मंदिर जाकर दर्शन शामिल नहीं था। मंदिर पहुंचे कांग्रेस उपाध्यक्ष ने श्रीकृष्ण से आशीर्वाद लिया, इस दौरान उन्हें कृष्ण की एक प्रतिमा भी भेंट की गई। राहुल ने चिंतन शिविर में कहा कि पार्टी में मौजूद लोग मेरे परिवार के सदस्य जैसे हैं और उनको कोई बाहर नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि मै पार्टी के लोगों को अपने परिवार की तरह देखता हूं। उन्होंने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ताओं में कांग्रेस का डीएनए है। इसलिए जब मुझसे कोई पूछता है कि आप कहां से हैं तो मै बता देता हूं कि मैं इलाहाबाद और कश्मीर से हूं। उन्होंने कहा कि मैं यूपी की सेवा के लिए हर तरह से तैयार हूं।
राहुल गांधी ने आरएसएस को आड़े हाथों लिया। राहुल ने आरएसएस की विचारधारा पर हमला करते हुए कहा कि अगर मोहन भागवत आसमान को काला कहेंगे तो सभी कहने लगेंगे आसमान काला है, जबकि कांग्रेस में ऐसा नहीं है। आरएसएस जैसी विचारधारा हमारी नहीं है। इस मौके पर राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी पर भी हमला करने से नहीं चूके। उन्होंने कहा कि मोदी आए और सिर्फ वादे करते गए। आज तक किसी के भी खाते में 15 लाख रूपए नहीं आए हैं और ना ही आएंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने अच्छे दिनों का वादा किया था, लेकिन आज किसान आत्महत्या कर रहे हैं। किसान प्रधानमंत्री को सिर्फ कोस ही नहीं रहे, बल्कि उन्हें गाली भी दे रहे हैं। राहुल ने कहा कि मोदी खुद अपना नुकसान कर रहे हैं। चिंतन शिविर के दौरान राहुल ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए कहा कि भले ही उत्तरप्रदेश में हमारी पार्टी चौथे नंबर पर है, लेकिन विचारधार में कांग्रेस एक नंबर पर है। अगर हम अपनी विचारधारा को जगा देंगे तो यूपी जीत जाएंगे। राहुल ने कहा कि जिसके भी डीएनए में कांग्रेस है, उसे जगाने की जरूरत नहीं है। इस मौके पर राहुल ने स्टीव जॉब्स की कामयाबी की कहानी भी सुनाई। गौरतलब है कि राहुल उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के लिए प्रयासरत हैं। उनके इस चिंतन शिविर की तैयारी लंबे समय से हो रही थी। बताया जा रहा है कि पिछले लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद यह पार्टी का सबसे बड़़ा शिविर होगा। करीब 15 साल पहले 2000 में भी कांग्रेस ने मथुरा में ऐसा ही चिंतन शिविर किया था।