पटना। बिहार विधानसभा चुनाव का घमासान तेज हो चुका है। बिहार के चुनाव में भले ही लड़ाई नरेंद्र मोदी बनाम नीतीश कुमार कही जा रही हो लेकिन असल में सियासी जमीन पर मोदी के खिलाफ कमर कस कर आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव खड़े हैं। 2010 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के साथ बीजेपी को भारी जीत मिली थी। पहली बार बीजेपी ने 91 सीटों पर जीत दर्ज की थी। लालू प्रसाद यादव ने ऐसी 50 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला लिया है जिस पर पिछले चुनाव में बीजेपी का कब्जा था। जाहिर है महागठबंधन की तरफ से लालू यादव बीजेपी के खिलाफ सबसे बड़ा मोर्चा संभाल रहे हैं। जिन सीटों पर लालू यादव ने बीजेपी उम्मीदवारों के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतारने का फैसला लिया है वहां आरजेडी ने अपने एमवाई समीकरण यानी मुस्लिम यादव फैक्टर का खास ध्यान रखा है। आरजेडी ने बीजेपी के खिलाफ उन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं जहां लालू की पार्टी पिछली बार दूसरे नंबर पर थी, पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 177 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी पार्टी को लगता है कि आरजेडी की कोई रणनीति काम नहीं आने वाली है। लालू यादव की पार्टी आरजेडी का मानना है कि पिछले चुनाव में जब बीजेपी- जेडीयू साथ चुनाव लड़े थे तब आरजेडी दूसरे नंबर पर थी। इस बार जेडीयू और लालू जब साथ हैं तो इसका सीधा फायदा लालू को होगा। बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकारों का कहना है कि नीतीश की छवि लोगों के बीच अच्छी रही है और लालू यादव पिछड़ों के बीच लोकप्रिय हैं इसका फायदा महागठबंधन को हो सकता है।