गज छाया योग में लीजिये पुरखों का आर्शीवाद

shrad pakshलखनऊ। आज से पुरखे धरती पर उतर आयेंगे अपने वंशजों को देखने और उनके द्वारा किये तर्पण से प्रसन्न होने। 28 सितंबर से आश्विन कृष्ण पक्ष के श्राद्ध, गज छायायोग में आरंभ हो रहे हैं। गज छाया योग में, तर्पण और श्राद्ध का फल पांच गुना मिलता है। इसलिये जो लोग पितृदोष की वजह से कई कष्ट झेल रहे हैं, उनके लिये 28 सितंबर से लेकर 12 अक्टूबर के बीच 15 दिन विशेष हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित संजय पांडे कहते हैं कि इन दिनों में, पितरों को प्रसन्न कर, अपनी सारी इच्छायें पूरी कर सकते हैं। पूर्वज चाहते हैं कि उनके वंशज, उन्हें सदा याद रखें। इसी आशा से वह पूरे 15 दिन के लिये पृथ्वी लोक आते हैं। अगर वंशज उनके निमित्त, श्राद्ध और तर्पण करते हैं, तो पितृ प्रसन्न होकर उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। 38 साल बाद, पूर्ण चंद्र ग्रहण में पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है। लेकिन पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत के सिर्फ पश्चिमी राजस्थान और पश्चिमी गुजरात के कुछ हिस्सों में ही दिखाई देगा। इसका श्राद्ध की प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इससे पहले 1977 में ऐसा संयोग आया था। श्री पांडे के अनुसार गज छाया योग में पडऩे वाले पितृ पक्ष को, वंश वृद्धि, धन संपत्ति और पितरों से मिलने वाले आशीर्वाद के लिये विशेष माना गया है। ऐसी मान्यता है कि गज छाया योग में पितृकर्म और तर्पण करने से, पांच गुना फल मिलता है। पितृ आत्मायें तृप्त होकर, अपने वंशजों को भरपूर आशीर्वाद देती हैं। कई बार सब कुछ ठीक होता है लेकिन काम नहीं बनते। कुंडली में कई ग्रह शुभ स्थान पर बैठें हो फिर भी धन आता है लेकिन सुख नहीं मिलता। ऐसा पितृदोष की वजह से होता है। लेकिन गजछाया योग में आये पितृपक्ष में, आप पितरदोष की शांति बहुत आसानी से करा सकते हैं। पितृदोष दूर होते ही आपके जीवन में सुख-शांति, धन संपत्ति, और लक्ष्मी की कृपा बनेगी। जो लोग संतान सुख से वंचित हैं, उनके घर में भी बच्चे की किलकारी गूंजेगी।