कम बजट उपर से अध्यक्ष का भार, कैसे बढ़े कलाकारों का सम्मान

snaसुशील सिंह लखनऊ। राजधानी में कलाकारों को मंच प्रदान करने के उद्देश्य से बना उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी प्रदेश के प्रतिभावान कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए बना था, लेकिन बीते डेढ़ साल से यह अब राजनीतिक का अखाड़ा बन गया है। एक ओर वहां काम कर रहे कर्मचारी अपनी समस्याओं से जूझ रहे है वहीं अकादमी का बजट सीमित होने के चलते अकादमी को कई अन्य समस्याओं से भी जूझना पड़ रहा है। हाल ही में प्रदेश सरकार ने बिना अध्यक्ष के चल रहे अकादमी में नए अध्यक्ष के रूप में अक्षय लाल सोनी की नियुक्ति कर दी। सरकार ने इस बार अकादमी में अध्यक्ष की नियुक्ति तो कर दी पर राज्यमंत्री का दर्जा नहीं दिया है, लेकिन सरकारी आदेश में उल्लेख है कि अध्यक्ष को मिलने वाली सारी सुविधाएं पूर्ववत रहेगी। गौरतलब है कि इसके पहले अखिलेश सरकार ने नवेद सिद्दीकी को अकादमी के अध्यक्ष नियुक्त किया था जिन्हें राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त था। सरकारी वाहन से लेकर सुरक्षाकर्मी तक शासन की ओर से मुहैया कराया गया था। लेकिन अकादमी के सूत्रों की माने तो इस बार परिस्थिति वैसी नहीं है। सरकारी आदेश के मुताबिक नये अध्यक्ष की सारी सुविधाएं पूर्ववत रहेगी पर अब वहां कर्मचारी इस बात को लेकर संसय में है कि अध्यक्ष के वाहन, सुरक्षा सहित अन्य सुविधाओं का भार संगीत नाटक अकादमी को उठाना पड़ेगा जो स्वयं बजट की कमीं का रोना रो रहा है।
कर्मचारियों का मानना है कि उत्तर प्रदेश संगीत निदेशालय की तरफ से अकादमी को मिलने वाला बजट वैसे कम है ऐसे में अगर अध्यक्ष को सभी सुविधाएं मुहैया करवानी पड़ी तो इसका असर अकादमी द्वारा होने वाले आयोजनों और अन्य योजनाओं पर पड़ेगा। अकादमी का वार्षिक बजट लगभग 96 लाख के आस-पास है जिसमें यहां के सभी कर्मचारियों का वेतन, अकादमी की ओर से होने वाली संगीत परक कार्यक्रम तथा अकादमी का रख रखाव आदि भी शामिल है। अकादमी के कर्मचारियों के अनुसार नए अध्यक्ष पर प्रत्येक माह लगभग एक लाख रुपये का खर्च आयेगा जिसमें वेतन सहित अन्य तमाम तरह की सुविधाएं शामिल है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि कम बजट और कर्मचारियों को मिलने वाली अधूरी सुविधाओं के जद्दोजहद के बीच अकादमी अपने आप को किस प्रकार उबार सकती है।