बाबा नीम करौली की प्रेरणा ने बनाया आईफोन किंग

neem karori babaलखनऊ। पीएम नरेन्द्र मोदी ने फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग से उनके मुख्यालय में मुलाकत की और संयोगवश मार्क को वह घटना भी याद आ गयी जब एप्पल कंपनी के सीईओ स्टीव जाब्स ने भारत को लेकर एक किस्सा भी सुनाया था। मार्क ने पीएम से मुलाकात के दौरान बताया कि उन्होंने जब अपने गुरू स्टीव जाव्स से मुलाकात की तो उन्होंने भारत के मंदिर के दर्शन की बात कही और कहा कि एक बार जरूर भारत के मंदिर का दर्शन करो जिसके बाद तुम्हारी और बढ़ोत्तरी होगी। मार्क जुकरबर्ग की यह बात ऐसे प्लेटफार्म पर हुई कि पूरी दुनिया यह बात जानने को उत्सुक है कि आखिर एप्पल के मालिक ने जुकर बर्ग को किस मंदिर में जाने की सलाह दी।
आइये हम आपको बताते हैं कि वह कौन थे जिन्होंने जाव्स को वह प्रेरणा और आध्यात्मिक ताकत का अहसास कराया जिसको वह आजतक नहीं भूल पाये।
दरअसल यह बात साल 1974 की है। एप्पल कंपनी के मालिक स्टीव जाब्स उन दिनों पाश्चात्य फक्कड़ थे। जिसको दुनिया में लोग हिप्पी के नाम से भी पुकारते थे। जाब्स कुछ बड़ा पाने की ख्वाहिश में वे भारत आए थे। जीवन का ज्ञान लेने के लिए वे अपने दोस्त के साथ नैनीताल स्थित नीम करौली बाबा के कैंची आश्रम पहुंचे। अपने चमत्कारों के लिए विश्व विख्यात बाबा के विचारों से वे प्रभावित थे। लेकिन, जब वह भारत पहुंचे तो बाबा की मृत्यु हो चुकी थी। वहां उन्हें ऑटोबायोग्राफी ऑफ एन योगी नामक किताब मिली। इस किताब को उन्होंने कई बार पढ़ा। यहीं से एक नए स्टीव का जन्म हुआ, जिसने तकनीकी की दुनिया में मिसाल कायम कर दिया। स्टीव की आगे की जिंदगी के लिहाज से भारत यात्रा अहम साबित हुई। वह खुद इस बात को मानते थे कि भारत यात्रा के दौरान उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि थॉमस एडिशन ने दुनिया को बेहतर बनाने में उतना योगदान किया है, जितना कार्ल माक्र्स और नीम करोली बाबा मिलकर भी नहीं कर पाते। इस अहसास के साथ जब वह भारत से लौटे, तो सारी दुविधाएं छोड़ कर अपने प्रोफेशन में रम गए और बन गए आईफोन किंग।सन 1974 की बात है। स्टीव जॉब्स नौकरी कर रहे थे। पर उनका मन नहीं लग रहा था। वहां कुछ बड़ा पाने की ख्वाहिश में अशांत थे। उनका एक दोस्त रॉबर्ट फ्रीडलैंड नीम करौली बाबा से दीक्षा ग्रहण कर रहा था। अपने दोस्त के विचार और व्यवहार में आए परिवर्तन से वह अचंभित थे। वह भी बाबा से मिलकर जीवन का ज्ञान लेना चाहते थे। यही कारण है कि उन्होंने अपने दोस्त के साथ भारत जाने की योजना बनाई। स्टीव जॉब्स ने नौकरी छोड़ दी। और वह हिप्पी बनकर नीम करौली बाबा से मिलने के लिए दोस्त डेनियल कोटटके के साथ भारत आ गए। वह दिल्ली से सीधे हरिद्वार पहुंचे। उस समय हरिद्वार में महाकुंभ का मेला चल रहा था। हर तरफ साधू-संत दिखाई पड़ रहे थे। इतनी भीड़ और अजीबो-गरीब लोगों को देख स्टीव घबड़ा गए। वह वहां से नैनीताल में स्थित कैंची मंदिर पहुंचे। यहां नीम करौली बाबा का आश्रम था। वहां नीम करौली बाबा नहीं मिले। उनका देहांत हो चुका था। लेकिन वह आश्रम में रुक गए। वहां उन्हें एक अद्भुत किताब मिली, जिसने जीवन की दिशा बदल दी। आज जब मार्क जुकरबर्ग ने यह कहानी सुनायी तो पूरी दुनिया में लोग बाबा नीम करोली के बारे में जानना चाहते हैं।