न तो गये दलाल और न ही बंद हुई दलाली

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आशुतोष मिश्र
अमेठी। आप चाहे जितना भी निर्देश दे दो बिना पैसे के काम नहीं होगा यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि जनपद के आरटीओ विभाग की भ्रष्टाचारी देखकर कहने पर विवश होना पड़ रहा है बार बार जिला अधिकारी के निर्देशों के बाद भी आरटीओं विभाग में भ्रष्टाचारी कम होने का नाम ले ही नहीं रही है। हम जिला अधिकारी महोदय से पूछना चाहते हैं जब आपके ही अधीनस्थ अधिकारी आपके निर्देशों का पालन नहीं करते हैं तो आखिर जनपद का विकाश कैसे होगा? बताते चले कि जिलाधिकारी के बार बार निर्देशों के बाद भी आरटीओ विभाग में दलाली बंद होने का नाम नहीं ले रही है। निरीक्षण भसी होता है लेकिन बाद मे सब कुछ वैसे का वैसे हो जाता है। काम छोटा हो या बड़ा रेट सबका फिक्स है सूत्रों की माने तो पूरे दिन जितनी भी कमाई होती है उसमें छोटे से लेकर बड़े तक का हिस्सा जुड़ता है संवाददाता के टीम ने आज आरटीओ कार्यालय का जायजा लिया तो पता चला कि यहां पर अगर कोई काम करवाना है तो अधिकारी से नहीं बल्कि दलाल से मिलना पड़ेगां। जैसे ही संवाददाता आरटीओ आफिस पहुंचा वैसे ही उसके पास दो दलाल पहुंच गये और पूछने लगे की भाई कौन सा काम करवाना है पहले तो संवाददाता ने अपने आप को पत्रकार न बताकर एक आम आदमी बताया और कहा कि हमें ड्राइवरी लाइसेंस बनवाना है कितने लगेेंगे? झट दलाल ने जवाब दिया भाई लर्निंग के रू350 और पर्मानेन्ट के 500 अगर दोनों साथ बनवाना है और जल्दी पाना है तो 1000 लगेंगे। वहीं संवाददाता ने जब इन दोनों फीस की जानकारी ली तो पता चला कि लगभग 250 सरकारी फीस में काम हो जाता है शेष रकम अधिकारियों की जेब में जाती है वहीं संवाददाता ने रहे आस पास लोगों से बात की तो लोगों ने बताया कि यहां पर अगर सरकारी रेट पर कोई काम करवाना है तो महीनों चक्कर लगाने पड़ते हैं लेकिन वहीं अगर दलालों के माध्यम से काम करवाया जाय तो महज एक दिन में काम पूरा हो जाता है लेकिन पैसे ज्यादा देने पड़ते हैं वहीं ऐसे कई लोग मिले जिन्होंने सिर्फ एक ही बात कही कि अगर जनपद के किसी विभाग में भ्रष्टाचार है तो वह आरटीओं विभाग में हैं उत्तर प्रदेश सरकार की हमेशा यही मंशा रहती है कि प्रदेश की जनता खुशहाल रहे उसे सही योजनाओं का सीधा लाभ मिले लेकिन यहां तो उसी प्रदेश की जनता को लूटा जा रहा है पर देखने वाला कोई नहीं होता।