बदरंग हो रही है बस्तर की फूलों की घाटी

keshkaalसुधीर जैन, जगदलपुर। बस्तर में पर्यटन के लिए पहुंचने वाले सैलानियों को केशकाल घाटी तो लुभाती भी है, लेकिन इस फूलों की घाटी की दिन पर दिन बदरंग होती जा रही है। स्थिति के कारण पर्यावरण प्रेमियों में हताशा का माहौल है। कभी इस घाटी को फूलों की घाटी कहा जाता था, लेकिन अब यह घाटी जर्जर होती हुई धूल भरी घाटी में तब्दील हो गई है।
इसकी तस्वीर संवारने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने सरफेस इंजीनियरिंग को दिया था। स्थिति सुधारना तो दूर इन दिनों इसे बिगाडऩे का पूरा दारोमदार सरफेस इंजीनियरिंग पर थोपकर एनएच अपना पल्ला झाड़ रही है। बोरगांव होते हुए केशकाल पहुंचने वाली 30 किमी की नेशनल हाइवे सहित केशकाल घाटी से गुजरते हुए नीचे जाने वाली सड़क के निर्माण का कार्य तीन वर्ष पहले सरफेर इंजीनियरिंग को दिया गया था। काम के तुरंत बाद सड़क सहित केशकाल घाटी की हालत पतली होती गई। अब तो हाल यह है कि बोरगांव व केशकाल के बीच एनएच के कई किमी तक डामर तो दूर गिट्टियां भी उखड़ कर गायब हो गई है। इसकी वजह से पूरा रास्ता हिचकोले खाते हुए गुजरता है। इसके बाद केशकाल घाटी का जोखिम भरा सफर और भी तकलीफदेह हो गया है। घाटी की खतरनाक ढलानों पर एनएच के मापदंड वाली सड़कों का नामोनिशान मिट गया है। घाटी की इन ढलानों पर वाहन चलाकर गुजरना हिम्मत का काम है। वाहन चालकों का कहना है कि घाटी की गहराई से ज्यादा सड़कों की बदहाली चिंता जनक है। उन्होंने कहा कि यहां वाहनें आउट आफ कंट्रोल हो जाती है। यदि थोड़ी भी लापरवाही होती है तो कभी भी मामला जान की जोखिम का हो सकता है।