विदा हुए पुरखे: पितृपक्ष के समापन पर लोगों ने तर्पण-दान

Pitru Pakshरायपुर। 27 सितंबर से शुरू हुआ पितृ पक्ष का समापन सोमवार को पितरों को विदाई के साथ किया गया। लोगों ने पितृ पक्ष के अंतिम दिन तर्पण व दान करके पितरों को विदायी दी। 15 दिनों तक मनाया जाने वाला पितृ पक्ष के समापन के दिन सोमवार को तर्पण के लिए शहर के तालाब व खारून नदी में सुबह लोगों की खासी भीड़ रही। इस बार तीन साल बाद सर्व पितृमोक्ष अमावस्या का संयोग बना है। हालांकि श्राद्ध पक्ष के दौरान पिछले 30 सालों में सातवीं बार बना है। इससे पहले यह संयोग 1988, 1991, 2001, 2005, 2008, 2012 में सोमवार को सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या पर सोमवार होने से सोमवती अमावस्या थी। अब सातवीं बार 2015 में यह संयोग बना है। इस दिन चंद्रमा कन्या राशि में रहने के साथ हस्त नक्षत्र रहेगा। अमावस्या और सोमवार संयोग विशेष फलदायी माना जाता है। ऐसा संयोग अब वर्ष 2028 में बनेगा।
अंतिम दिन घर के दरवाजे पर पीढ़ा, लोटे में पानी और दातून रखकर पूजा करने का रिवाज: अन्य राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ में भी पितृ पक्ष के 15 दिनों तक श्राद्ध देने की परंपरा निभायी जाती है। यह परंपरा शहरों की अपेक्षा ग्रामीण अंचलों में बड़े रिती-रिवाज व परंपरा के साथ निभाया जाता है। पितृ पक्ष के समापन दिन ग्रामीण घरों के दरवाजे पर पीढ़ा, लोटे में पानी और दातून रखकर पूजा करते है। पितृ मोक्ष के दिन घरों में विशेष रूप से उड़द का बड़ा, पूरी और खीर बनाई जाती है। इसका एक हिस्सा कौवों को खिलाया जाता है। इससे मान्यता है कि पूर्वज खुशी-खुशी, आशीष देकर वापस लौटते हैं।