उत्पीडऩ के खिलाफ आवाज उठाने में इंडियन वुमेन एक नम्बर

working womenनेशल डेस्क। जी20 देशों में भारत की महिलाओं को कार्यस्थल पर असमान व्यवहार के सबसे खराब कुछ मामलों का सामना करना पड़ता है लेकिन वे अपने साथ होने वाले उत्पीडऩ के खिलाफ आवाज उठाने में सबसे आगे रहती हैं। थॉम्सन रॉयटर्स फाउंडेशन और द रॉकफेलर फाउंडेशन ने इप्सोस मोरी के जरिये 9500 से अधिक महिलाओं के बीच रायशुमारी कराई जिसके अनुसार चार में से केवल एक भारतीय महिला कार्यस्थल पर करियर के समान अवसरों की कमी को बड़ी समस्या मानती है।
जी20 देशों में कामकाजी महिलाओं के समक्ष पांच प्रमुख समस्याएं शीषर्क वाले इस अध्ययन में पाया गया कि भारतीय महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर सबसे बड़ी चुनौतियों की सूची में काम और जीवन के बीच संतुलन स्थापित करने की समस्या शीर्ष पर है। देश में 57 प्रतिशत महिलाओं का कहना है कि यह उनके लिए चिंता का सबसे बड़ा विषय है। भारत में उत्पीडऩ से संबंधित सबसे अधिक आश्चर्यजनक बात सामने आई है। अध्ययन में कहा गया है कि 27 प्रतिशत महिलाओं का कहना है कि उन्हें कार्यस्थल पर उत्पीडऩ झेलना पड़ा है और अन्य जी20 देशों की महिलाओं की तुलना में भारतीय महिलाओं के उत्पीडऩ के खिलाफ आवाज उठाने में आगे रहने की सर्वाधिक संभावना है। अध्ययन में कहा गया है कि भारत में जिन महिलाओं को उत्पीडऩ का सामना करना पड़ा है, उनमें से 53 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि वे हमेशा या अधिकतर इस बारे में शिकायत करती हैं। इसमें भारत के संदर्भ में कहा गया है, आंकड़े के अनुसार जी20 देशों की बात की जाए तो भारत में वेतन के भुगतान में लिंग के आधार भेदभाव सबसे अधिक है लेकिन इन आंकड़ों के विपरीत 10 में से करीब छह या 61 प्रतिशत महिलाओं का कहना है कि उन्हें भरोसा है कि वे समान रोजगार में कार्यरत पुरूषों के बराबर कमा रही हैं।Ó तुर्की, भारत, मेक्सिको और अर्जेंटीना उन जी20 देशों की सूची में शीर्ष पर हैं जहां महिलाएं कार्यस्थल पर उत्पीडऩ को लेकर सर्वाधिक चिंतित है जबकि दक्षिण कोरिया, रूस, जर्मनी और ब्रिटेन में महिलाएं इस बारे में सबसे कम चिंतित हैं। हालांकि उत्पीडऩ के खिलाफ भारतीय महिलाओं के आवाज उठाने की संभावना सर्वाधिक है। इस मामले में भारत के बाद अमेरिका, कनाडा और मेक्सिको का स्थान आता है। इसके विपरीत उत्पीडऩ के खिलाफ रूस, दक्षिण कोरिया, ब्राजील, जापान और इंडोनेशिया में महिलाओं द्वारा शिकायत किए जाने की संभावना बहुत कम या बिल्कुल नहीं है। यह सर्वेक्षण ऐसे समय पर किया गया है, जब उन अध्ययनों की संख्या बढती जा रही है जो दिखाते हैं कि महिलाओं के काम करने पर अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होता है और महिलाओं की आय बढने से बच्चों की भलाई के लिए खर्च करने के तरीके में बदलाव आते हैं।
एजेंसियां