वाराणसी। कबीर और नजीर के शहर बनारस में गंगा- जमुनी तहजीब के धागे इतनी सहजता से गुंथे हुए हैं जो समाज में अक्सर मिसाल बनते हैं। इन्हीं में से एक हैं बिलाल अहमद, जो मां दुर्गा के लिए चुनरी और झंडा बनाते हैं। पिछले आठ साल से झंडा और चढ़ावे के लिए सुंदर चुनरी डिजाइन करने वाले बिलाल इसे रोजगार के साथ-साथ समाज को जोडऩे का जरिया मानते हैं। इस काम में उनकी अम्मी तेहरा बीबी भी साथ देती हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा सभी देवी मंदिरों और घरों में की जाती है। भक्त मां को लाल चुनरी चढ़ाते हैं। हिदायक नगर नक्खीघाट के निवासी बिलाल इस लाल चुनरी की अहमियत जानते हैं। इसलिए वह कई तरह की आकर्षक डिजाइन तैयार करते हैं। लाल गोटे, चमकीले चांद-सितारों वाली उनकी बनाई चुनरियों को लोग हाथों हाथ खरीद लेते हैं। वह भक्तों के लिए 20-25 रुपए से लेकर 200 रुपए तक की चुनरी बनाते हैं। बीबी कहती हैं, अमन चैन के बीच नफरत की दीवार खड़ी करने वालों की कमी नहीं है। धर्म के नाम पर लोगों को बांटने की कोशिश की जा रही है। हमें एक दूसरे के मजहब का पूरा सम्मान करना चाहिए। हम जब चुनरी बनाते हैं तो पवित्रता का पूरा ध्यान रखते हैं। हम जानते हैं कि इसकी अहमियत क्या है। वहीं बिलाल कहते हैं हमारा काम उन लोगों के लिए आईना है जो हमेशा नफरत के बीज बोते हैं। हिंदू- मुस्लिम सब एक हैं। सभी मजहब हमें नेक रास्ता दिखाते हैं। मैं अधिक पढ़ा- लिखा तो नहीं लेकिन इतना जानता हूं कि ईश्वर कहें या अल्लाह सब एक ही हैं।