कब्रगाह बने मेहरानगढ़ किला हादसे की जांच रिपोर्ट खा रही है धूल

mehrangarh-hadsaजयपुर। जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में हुए हादसे की रिपोर्ट सालों बाद भी बाहर नहीं आ पाई है। 2008 में 30 सितंबर को यहां चामुण्डा मंदिर की चौखट पर धोक लगाने आए 215 लोगों की भगदड़ में मौत हो गई थी। इस मामले की जांच करने के लिए गठित जस्टिस जसराज चोपड़ा आयोग की तरफ से पेश की गई 860 पेज की इस रिपोर्ट को न तो सरकार ने विधानसभा में रखा और न ही रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्रवाई की गई। तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जस्टिस चोपड़ा की अध्यक्षता में दो अक्टूबर 2008 को आयोग का गठन कर जांच सौंपी थी। हालांकि कुछ महीनों बाद ही भाजपा की जगह कांग्रेस सरकार सत्ता में आ गई थी। आयोग ने अपनी रिपोर्ट दो साल सात महीने में तैयार करके गृह विभाग को सौंपी थी। रिपोर्ट बनवाने में सरकारी खजाने से करीब ढाई करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। इसमें बताया गया था कि हादसा किसकी गलती से हुआ और कौन-कौन इसके लिए जिम्मेदार था। तब से आयोग की रिपोर्ट गृह विभाग में धूल खा रही है। क्या है जांच रिपोर्ट में 140 मृतक युवकों के परिवार वालों ने हलफनामे देकर इस हादसे के कसूरवारों को सजा दिलाने की गुहार की थी। आयोग में 222 पीडि़त परिजनों व 59 पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के बयान हुए थे। जांच रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया था कि चामुण्डा मंदिर में अचानक भगदड़ क्यों व कैसे मची? कैसे दम घुटने से 215 लोग रैम्प पार्ट पर ही दम तोड़ गए। इस बारे में राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया का कहना है कि मेहरानगढ़ दुर्ग पुलिस व प्रशासन की कहां व कैसे चूक हुई और हादसे के लिए सीधे तौर पर कौन-कौन जिम्मेदार है? आयोग की रिपोर्ट पिछली सरकार के समय आई थी फिर उसका क्या हुआ मैं अभी तो नहीं बता सकता हंू। हां आयोग हमारी सरकार ने पिछले कार्यकाल में ही गठित किया था।