डांस बार पर बैन से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

supreem courtनई दिल्ली। महाराष्ट्र सरकार द्वारा डांस बार पर लगाए गए प्रतिबंध पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने आजीविका के अधिकार को आधार बनाते हुए इस पाबंदी को हटा लिया है। हालांकि, राज्य सरकार के पास अब भी डांस बार बंद करवाने के लिए कई विकल्प खुले हैं। ऐसे में देखना बाकी है कि राज्य सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है। वहीं कोर्ट के फैसले के बाद सीएम देवेन्द्र फणनवीस ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह इस पर विचार करेंगे।हालांकि कोर्ट ने यह साफ किया कि अश्लील डांस की इजाजत नहीं दी जाएगी। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह डांस बार में काम करने वाली महिलाओं के सम्मान की सुरक्षा का पूरा इंतजाम करे।
इस मामले में आगे की सुनवाई पांच नवंबर को होगी। इससे पहले 2014 में तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने महाराष्ट्र विधानसभा में कानून लाकर डांस बार पर रोक लगा दी थी। इस कानून को सर्वसम्मति से पास कि या गया था। इस कानून के खिलाफ रेस्टोरेंट मालिकों ने चुनौती दी थी कि सरकार डांस बार पर रोक लगाने के लिए नया कानून लेकर आ रही है जबकि कोर्ट इसी तरह के एक कानून को पहले ही रद्द कर चुका है। इस पर कोर्ट ने माना कि हालांकि उसने इसी तरह का एक कानून रद्द कर दिया था लेकिन नया कानून अलग तरह से लाया गया है। सरकार ने यह कदम 2013 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उठाया था। 2013 में उच्चतम न्यायालय ने डांस बार खोलने की अनुमति दे दी थी। महाराष्ट्र में लगभग 700 से ज्यादा डांस बार हैं और इनसे 75 हजार लोगों को रोजगार मिलता है। डांसर्स यूनियन ने प्रतिबंध का विरोध किया था। यूनियन का कहना था कि इस फैसले के चलते कई महिलाएं वेश्यावृति के धंधे में धकेल दी जाएंगी। महाराष्ट्र में डांस बार काफी चर्चित मुद्दा है। सरकार इन्हें वेश्यावृति का साधन मानती है। इसी के चलते 2005 में पुलिस ने कई डांस बार पर कार्रवाई की थी। इनमें पांच सितारा होटलें भी शामिल थी।