मुलायम का अमर प्रेम: उडि़ जहाज को पंछी, पुनि जहाज को आवै

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योगेश श्रीवास्तव,
लखनऊ। किसी शायर ने कहा है कि  दूरी हुई उनसे तो करीब और हम हुए, ये कैसे फासले थे जो बढऩे से कम हुए।। गुरूवार को यह पंक्तियां एक मंच पर साकार होती दिखी जब अमर सिंह सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के साथ नजर आए। इससे फि र एक बार उनके सपा में वापसी की चर्चाओं को बल मिला बल्कि यह किवंदती साकार होती दिख रही है कि उडि़ जहाज को पंछी पुनि जहाज को आवै। राजधानी के चकगंजरिया में बनने वाले अवध मेदान्ता अस्पताल के शिलान्यास के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में अमर सिंह के आने से फि र उनकी सपा में वापसी की चर्चाएं तेज हो गई हैं। राजधानी में गुरूवार को आयोजित इस कार्यक्रम में अमर सिंह समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह के साथ पहुंचे। बाद में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद अमर सिंह का हाथ पकड़ कर उन्हें मंच पर ले गए। बाद में अमर सिंह ने भी कार्यक्रम को स बोधित भी किया। यह पहला मौका नहीं है कि सरकार के कार्यक्रम के किसी मंच पर अमर सिंह सत्तारूढ़ दल के नेताओं के साथ आए है। इससे पहले राजधानी में ही जनेश्वर मिश्रा पार्क के उद्घाटन के मौके पर भी अमर सिंह को मुलायम सिंह साथ लेकर आए थे। इतना ही नहीं गत वर्ष भी अमर सिंह के सपा में आनें की चर्चाएं उस समय उठी थी जब श्री सिंह ने सपा मुखिया से न केवल मुलाकात की थी बल्कि वह सपा मुखिया मुलायम सिंह के साथ पार्टी कार्यालय भी आए थे। सपा से निष्कासित किए जाने के बाद से अमर सिंह के काफी हांथ-पांव मारने के बाद भी उन्हे जब कोई सफलता नहीं मिली तो एकब एक उनका रूख समाजवादी पार्टी की ओर दिख रहा है। समाजवादी पार्टी से बाहर होने के बाद पहले उन्होंने लोकमंच नाम से राजनीति दल खड़ा किया। 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बड़ी सं या में उ मीदवार भी उतारे लेकिन कहीं खाता तक नहंी खुला। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव से पूर्व वे फिल्म अभिनेत्री जयप्रदा के साथ राष्टï्रीय लोकदल में शामिल हो गए। जयप्रदा बिजनौर से चुनाव भी लड़ी लेकिन उन्हे सफलता नहीं मिली। लंबा राजनीतिक वनवास झेलने के बाद अमर सिंह एक बार फिर से समाजवादी पार्टीकी ओर मुखातिब है। सपा में लौटना उनकी राजनीतिक मजबूरी भी है क्योंकि बाकी किसी दल में उनकों लेकर कोई दिलचस्पी नहीं है। यदि वे समाजवादी पार्टी में शामिल होते है तो निश्चित रूप से पार्टी के अंदर भी कुछ समीकरण प्रभावित होंगे। कैबिनेट मंत्री मो.आजम खां से उनकी तल्खी किसी से छिपी नहीं है। अमर सिंह की यदि पार्टी में वापसी होती है कुछ नए समीकरण भी बनेंगे इससे राजनीतिक पंडितों को इंकार नहीं है। माना जा रहा है कि 2017 के चुनाव से काफी पहले अमर सिंह और जयप्रदा सपा के झंडे तले आ सकते है।