मंहगी दालों से जनता और सरकार का मूड खराब

daalबिजनेस डेस्क। दालों की आसमान छूती कीमतों ने सरकार का सिरदर्द बढ़ा दिया है। वित्त मंत्री ने आनन फानन में बैठक बुलाई और इंपोर्ट के जरिये दालों की महंगाई पर काबू पाने का इरादा जताया है। वित्त मंत्री ने दालों की महंगाई का ठीकरा राज्य सरकारों पर ठीकरा फोड़ दिया है। केंद्र सरकार के सामने चुनौतियां इसलिए भी बड़ी हैं क्योंकि राज्य केंद्र से दाल लेने को तैयार नहीं हैं। राज्यों की दलील है कि केंद्र से दाल लेना मंहगा पड़ता है। अब तक सिर्फ दो राज्यों आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु ने केंद्र से दाल की मांग की है।
महंगी दाल से सरकार बेहद परेशान है। अब दालों का इंपोर्ट किया जाएगा और 2000 टन दाल विदेश से मंगाई जाएगी। प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड का इस्तेमाल भी होगा। फंड का इस्तेमाल ट्रांसपोर्टेशन में किया जाएगा। अब तक 5000 टन दालों का इंपोर्ट हो चुका है। केंद्र ने राज्यों को कहा जा रहा है कि वो केंद्र से दालें लें। 3 महीने में दाल की कीमतों में आग लग गई है 3 महीने पहले अरहर की दाल 100 रुपये किलो थी जो अब 180 रुपये तक पहुंच गई है यानी पूरा 80 फीसदी का इजाफा। उड़द की दाल 3 महीने में 110 रुपये से 32 फीसदी महंगी होकर 145 रुपये पर आ गई है। मूंग की दाल 20 फीसदी महंगी हुई है और 100 रुपये से 120 रुपये पर आ चुकी है। वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारामन का कहना है कि दालों की आसमान छूती कीमतों पर काबू के लिए सरकार की कोशिश जारी है। इसके लिए सरकार दालों का बफर स्टॉक बनाएगी। निर्मला सीतारामन ने कहा कि सरकार दालों का इंपोर्ट कर रही है और नई फसल आने के बाद भी दाल इंपोर्ट करेंगे। दालों का बफर स्टॉक बनाया जाएगा और दाल इंपोर्ट में देरी नहीं हुई है। इस समय अंतर्राष्ट्रीय बाजार में दालों की कमी है। सरकार दालों की कीमतों को काबू में रखने के लिए बफर स्टॉक बनाएगी।