महिलाओं में 45 की उम्र के बाद घट जाता है हार्मोन

हेल्थ डेस्क। आजकल की बदलती जीवनशैली और खानपान से 9 से 10 साल में ही मासिक धर्म शुरू हो रहा है। वहीं, पहले 15 साल से ऊपर लड़कियों में मासिक धर्म की शुरुआत होती थी। मासिक धर्म शुरू होते ही लड़कियों में हॉर्मोन अपना असर दिखाना शुरू कर देते हैं। इससे उनके शरीर में तेजी से बदलाव आ रहा है। वहीं, परिवारिक जीवन और जिम्मेदारियों का बोझ ढो रही महिलाओं में 45 की उम्र के बाद हॉर्मोन गिरावट आने लगती है। इसके बाद 50 जाते-जाते उनका मासिक स्त्राव बंद हो जाता है। मासिक स्त्राव बंद होने से नारी के विचार और व्यवहार में तेजी से परिवर्तन आता है। इसी समस्या से लोगों को जागरुक करने के लिये विश्व मोनोपॉज दिवस पर नि:शुल्क कैंप का आयोजन किया गया है। डा.नायाब खान ने बताया कि मोनोपॉज के समय महिलाओं को विशेष ध्यान देने की जरुरत है। वहीं, कैल्शियम, विटामिन की गोली, नियमित व्यायाम की जरूरत होती है।
महिलाओं की उम्र का एक पड़ाव ऐसा आता है, जब मासिक स्त्राव पूरी तरह बंद हो जाता है। इसे ही मेनोपोज या रजोनिवृति की अवस्था कहा जाता है। आमतौर यह 45-50 की आयु की महिलाओं में होता है। प्रजनन क्षमता का अंत मेनोपोज या रजोनिवृति होने का मतलब है कि महिला की प्रजनन क्षमता का खत्म होना और रजोनिवृति होने के समय में या उस से छह महीने से लेकर दो साल पहले तक रज यानि खून का रंग गाढ़ा होने लगता है। मेनोपोज होने से तात्पर्य है कि महिला के अंडाशय की क्रियाएं बंद हो चुकी हैं। सब्र कम होने लगता है, मानसिक अवसाद, चिड़चिड़ापन और कभी-कभी तेज सिरदर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। उम्र बढऩे के साथ-साथ जोड़ों के दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मेनोपोज के समय आ रही किसी भी विशेष परेशानी के लिए आप अपने डॉक्टर से निरंतर संपर्क में रहे और अपने शरीर में आ रहे बदलावों से उन्हें अवगत करवाएं ताकि आपका यह समय भी सुखमय बीते।