नवरात्रि के दौरान ऐसे बचें फूड पॉयजनिंग से

DurgaMata

हेल्थ डेस्क। क्या आपने कभी सोचा है कि नवरात्र के दौरान नौ दिन का व्रत क्यों रखा जाता है व्रत रखने से शरीर के पाचनतंत्र को आराम मिलता है और शरीर का शुद्धिकरण भी हो जाता है। मगर इन दिनों फूड पॉयजनिंग की आशंका भी रहती है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के महासचिव डॉ के.के. अग्रवाल ने जो लोग व्रत रख रहे हैं, हम उन्हें ज्यादा तादाद में तरल आहार लेने की सलाह दी है, ताकि ऊर्जा बनी रहे और डिहाइड्रेशन से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि पिछले साल के बचे हुए कुट्टू और सिंघाड़े के आटे का इस्तेमाल न करें, क्योंकि वह दूषित हो सकता है और उसे खाने से डायरिया होने की संभावना होती है। फल ज्यादा तादात में खाएं, लेकिन बर्फी, फ्राई आलू जैसी तली और ज्यादा चीनी वाली चीजें खाने से दस्त भी हो सकते हैं।
व्रत के दौरान इन बातों का रखें ध्यान:
सिंघाड़े के आटे का प्रयोग करें। सिंघाड़ा अनाज नहीं, बल्कि फल होता है जिसे सूखे हुए सिंघाड़े से बनाया जाता है, इसलिए इसे नवरात्र में अनाज की जगह प्रयोग किया जा सकता है। प्रति 100 ग्राम में यह 115 कैलोरी देता है, इसलिए यह ऊर्जा का बेहतरीन स्रेत है।
पानी में पलने वाली सिंघाड़े की बेल में विशेष आकार के फल लगते हैं। फल या मेवे को उबाल कर या कच्चे ही स्नैक्स की तरह खाया जा सकता है।
सिंघाड़े का आटा बनाने से पहले इसे उबाल कर, छीलकर और सुखा कर बनाया जाता है। इस वजह से इसके दूषित होने की संभावना नहीं बचती।
सिंघाड़े में कार्बोहाइड्रेट्स की शुद्ध मात्रा बहुत कम होती है। इसे कम कार्बोहाइड्रेट्स वाली कई खुराकों में शामिल किया जाता है। इसमें आम मेवों जैसी चर्बी भी नहीं होती। इनमें सफेद आटे की तुलना में भी कम काबरेहाइड्रेट्स होते हैं।
सिंघाड़ा के आटे से बनने वाली तली हुई पूरियां या परांठे से परहेज करें।
अच्छे ब्रांड का उच्च गुणवत्ता का आटा ही लें, पिछले साल के बचे हुए आटे से फूड पॉयजनिंग हो सकती है।
सिंघाड़े की रोटी बनाते वक्त उच्च ट्रांस फैट वाला तेल प्रयोग न करें।
जितना ज्यादा हो सकें फल खाएं, व्रत रखने वालों के लिए फल सबसे बेहतर होते हैं।
शरीर में पानी की उचित मात्रा बनाए रखने के लिए पानी और फलों का रस अत्यधिक मात्रा में पीते रहें।