जगदलपुर। दंतेवाड़ा की मां दंतेश्वरी देवी की विदाई मंगलवार को होगी। कुटुंब जात्रा में आये सभी देवी-देवता के लाट और छत्र की विदाई हो चुकी है। दशहरा पर्व में शामिल होने आये विभिन्न परगना के देवी-देवताओं के विदाई की रस्म आज सोमवार को कुटुंब जात्रा के साथ शुरू हो गई। गंगामुण्डा स्थित महात्मा गांधी स्कूल परिसर में बने मंडप में सुबह से ही देवी-देवताओं के छत्र तथा डोली का पहुंचना जारी था। दोपहर 12 बजे से शुरू हुए इस विधान में मन्नत पूरी होने पर भक्तों ने बकरा, कबूतर, मुर्गी…
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खुदाई में मिले देवी लक्ष्मी के चरण चिह्न
रायपुर। छत्तीसगढ़ के प्रयागराज यानी राजिम में पुरातात्विक खुदाई में देवी लक्ष्मी के चरण चिह्न् मिले हैं। पहली बार लक्ष्मी के चरण चिह्न् मिलने से राजिम क्षेत्र को पौराणिक कथाओं में श्री क्षेत्र कहे जाने की पुष्टि हुई है। पुरातत्वविद् डॉ. अरुण शर्मा ने समाचार एजेंसी से चर्चा करते हुए ये बातें कहीं। उन्होंने बताया कि माता लक्ष्मी के चरण चिह्न् पूरे छत्तीसगढ़ में पहली बार मिले हैं। ये मौर्यकालीन उत्तर मुखी त्रिदेवी मंदिर में लाल पत्थर पर अंकित मिलते हैं। ये चरण चिह्न् दो कमल फूलों पर मिले हैं,…
Read Moreफतेहपुर सीकरी: हरम बन गया जोधा महल
फीचर डेस्क। शायद आपको जानकर हैरानी होगी कि आगरा के निकट बने एक महल जिसको जोधाबाई का महल कहा जाता है वो पूर्णत: एक भ्रामक शब्द है जिसे फतेहपुर सीकरी के गाइडों ने शुरू किया और यहां पर मौजूद एक महल को जोधाबाई का महल बताने लगे । इस भ्रम को दूर करने के लिये यहां पर पुरातत्व विभाग ने एक पत्थर भी लगाया हुआ है जिस पर स्पष्ट लिखा है कि ये हरम के महलों में से एक था जिसे भूलवश जोधा का महल कहा जाने लगा। अकबर ने…
Read Moreकाशी में 30 टन अंगारों से होकर गुजरा 1437 साल पुराना दूल्हे का जुलूस
वाराणसी । भोले बाबा की नगरी में देर रात 1437 साल पुरानी परंपरा निभाई गई। एशिया के इस तरह के इकलौते दूल्हे के जुलूस को देखने के लिए दूर-दूर से काफी लोग काशी पहुंचे। श्या हुसैनए या हुसैनश् कहते हुए इस जुलूस ने 12 किलोमीटर का सफर तय किया। कहा जाता है कि इस जुलूस में उस जंग में शहीद हुए घोड़े की नाल भी शामिल की जाती है। इस नाल को जो पकड़ता है उसे दूल्हा कहा जाता है। उस पर हुसैन की सवारी आती है। इसी वजह से…
Read Moreजानिए किसको कहते हैं वामनदेव का अवतार
फीचर डेस्क। राजस्थान के नागौर जिला मुख्यालय से 35 किमी दक्षिण में अजमेर-नागौर बस मार्ग पर ही स्थित है गुसांईजी का पावन स्थल जुंजाला। इस धाम के बारे में कई तरह के पौराणिक संदर्भ और किंवदंतियां प्रचलित हैं। 500 बीघा ओरण व लगभग 100 बीघा में फैले कच्चे सरोवर के किनारे पर गुसांईजी के इस मंदिर के गर्भगृह में शिला पर अंकित पदचिह्न ही आराधना का मुख्य केंद्र है। गुसांईजी को वामनदेव का अवतार माना गया है। इस स्थान पर हिन्दू और मुसलमान दोनों ही संप्रदाय के लोग माथा टेककर…
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