सुधीर जैन, जगदलपुर। बस्तर के विश्व प्रसिद्ध दशहरा पर्व को मनाने के लिए बेल के कंाटों में झूलती काछन देवी विशाखा ने दशहरा मनाने की अनुमति और आशीर्वाद दिया। इसके पश्चात स्थानीय गोलबाजार में रैला देवी से आर्शीवाद लेने पहुंचे जहां रैला देवी ने भी निर्विध्न दशहरा हेतु आर्शीवाद प्रदान किया। इसके साथ ही दंतेवाड़ा की मॉ दंतेश्वरी देवी तथा अंचल के अन्य देवी-देवताओं को निमत्रंण पत्र भेजा गया। भारी आतिशबाजी और बाजे-गाजे के साथ जुलूस राजमहल से काछनगुड़ी तक पहुुंचा। जुलूस के सामने आंगादेव की सवारी चल रही थी…
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कोडमदेसर मंदिर: साक्षात भैरव का होता है दर्शन
फीचर डेस्क। बीकानेर शहर से लगभग 24 किमी की दूरी पर स्थित है कोडमदेसर भैरू का भव्य मंदिर । राव बीका जी (1472-1504 ईस्वी के बीच बीकानेर के संस्थापक और शासक) ने कोडमदेसर भैरू मंदिर का निर्माण करवाया था, राव बीका जी का जन्म जोधपुर के शाही परिवार में हुआ था । उन्होंने बीकानेर राज्य की स्थापना के लिए 1465 ईस्वी में जोधपुर को छोड़ दिया। यह मंदिर पूरी तरह से खुला है । यह मंदिर सफेद संगमरमर द्वारा बना है। भैरुजी के मंदिर के पास ही एक पवित्र तालाब,…
Read Moreजानिए कहां है 1300 किलो प्योर गोल्ड से बनी वंशीधर की मूर्ति
गढ़वा, झारखंड। झारखंड के रामगढ़ से नजदीक ऐतिहासिक श्रीवंशीधर मंदिर देश ही नहीं बल्कि विदेशों के श्रद्धालुओं के लिये आस्था का केन्द्र है। श्री वंशीधर मंदिर में स्थित श्रीकृष्ण की वंशीवादन करती प्रतिमा की ख्याति देश में ही नही विदेशों में भी है। यहां नटवर श्रीकृष्ण की आदमकद प्रतिमा त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों स्वरुप में विद्यमान हैं। यहां प्रतिवर्ष देश के कोने-कोने एवं विदेशों के भी श्रद्धालु नंदलाला के दरबार में हाजिरी लगाते हैं। मंदिर में श्रीवंशीधर जी की स्वर्ण प्रतिमा लगभग साढ़े चार फीट की है।…
Read Moreश्रीलंका का कैंडी शहर: आबोहवा में है दिलकश रोमानियत
फीचर डेस्क। दुनिया के नक्शे पर बूंद के समान श्रीलंका के बीचोबीच है खूबसूरत शहर कैंडी। यह देश की सेन्ट्रल प्राविन्स की राजधानी है। कैंडी का सिंहली नाम महा नुवारा है, यानी महान शहर। कैंडी दरअसल उसके तमिल नाम का अंग्रेजी अपभ्रंश है। 14 वीं शताब्दी में बसा यह शहर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। कैंडी का अहसास बाकी श्रीलंका से अलग है। कोलंबो, गाल, जापफना या त्रिंकोमाली- ज्यादातर बड़े शहर समुद्र के किनारे हैं और इसलिए यहां समुद्री उमस और लहरें आपका पीछा नहीं छोड़तीं। कैंडी…
Read Moreतन्नौट माता: तीन हजार तोप के गोले भी नहीं हिला सके ईंट
फीचर डेस्क। जैसलमेर से 120 किलोमीटर दूर भारत पाक सीमा पर स्थित एक मन्दिर में विराजमान तन्नौट माता ने 1965 के युद्ध में पाक सेना के 3000 से भी अधिक गोलों को बेअसर कर भारतीय सेना को बचाया था। किंवदंती है कि उस समय पाक सेना ने जितने भी गोले मन्दिर परिसर के आस-पास दागे उनमें से एक भी नहीं फटा और हमारे देश की सेना का कोई नुकसान नहीं हुआ। कहा जाता है संवत 847 में भाटी राजपूत राजा तनु राव ने तन्नौट को अपनी राजधानी बनाया था। उसी…
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