फीचर डेस्क। कहा जाता है कि इस सृष्टि की रचना आदि देवों द्वारा की गई है। आदि देव जिन्होंने समय समय पर विभिन्न स्वरूपों को अपनी शक्ति से अवतरित किया। ऐसे आदि देव भगवान भोलेनाथ यानि शिव कहलाते हैं। शिव में ही सस्त सृष्टि का सार है और सृष्टि के कण – कण में शिव का वास है। शिव अपनी शक्ति के साथ इस समूचे ब्रह्मांड में निवास करते हैं। शिव का ऐसा ही धाम है कांगड़ा। हिमालय की वादियों से आच्छादित शिमला से करीब 181 किलोमीट दूर प्रतिष्ठापित है…
Read MoreCategory: पर्यटन
पर्यटकों को बरबस खींचता है रणकपुर का जैन मंदिर
फीचर डेस्क। राजस्थान के पाली जिले में स्थित रणकपुर का जैन मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का अद्भुत नमुना है। यह मंदिर पाली-उदयपुर राजमार्ग पर सादड़ी कस्बे से कुछ ही दूरी पर सुशांत पहाड़ी इलाके में स्थित हैं। यह जगह जैन धर्म में आस्था रखने वालों के साथ-साथ वास्तुशिल्प में दिलचस्पी रखने वालों को बहुत भाती है। पर्यटकों को मंदिर की खूबसूरती, भव्यता और शांत वातावरण घण्टों रोके रखता है। यह जगह जैन धर्म के पांच प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। इन मंदिरों का निर्माण 15 वीं शताब्दी में राणा…
Read Moreउज्जैन: जहां आज भी होती है रावण की पूजा
फीचर डेस्क। अपने देश में एक ऐसा गांव है जहां आज भी रावण की पूजा होती है। पूरा गांव एकत्र होकर बाकायदा सभी विधि विधानों के साथ रावण को पूजा करता है। उज्जैन जिले के चिखली ग्राम में परम्परा अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र नवरात्र में दशमी के दिन पूरा गाँव रावण की पूजा में लीन हो जाता है। इस दौरान यहाँ रावण का मेला लगता है और दशमी के दिन राम और रावण युद्ध का भव्य आयोजन होता है। पहले गाँव के प्रमुख द्वार के समक्ष रावण का एक स्थान…
Read Moreरहस्यमयी भुवनेश्वर गुफा: जहां रहते हैं 33 करोड़ देवी-देवता
फीचर डेस्क। भारत के प्राचीनतम ग्रंथ स्कन्द पुराण में वर्णित पाताल भुवनेश्वर की गुफा आज भी देशी-विदेशी पर्यटकों और श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में स्थित ये गुफा विशालकाय पहाड़ी के करीब 90 फुट अंदर है और इसकी खोज आदि शंकराचार्य द्वारा की गई थी। यहां केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के दर्शन भी होते हैं। पुराणों के मुताबिक पाताल भुवनेश्वर के अलावा कोई ऐसा स्थान नहीं जहां चारों धामों के एकसाथ दर्शन होते हैं। स्कन्द पुराण में मानस खंड के 103 अध्याय…
Read Moreप्रकृति की गोद में बसा है पूर्वोत्तर का जाइरो कस्बा
फीचर डेस्क। देश का पूर्वोत्तर राज्य अपनी प्राकृतिक सुंदरता और बदलते मौसम की वजह से पूरी दुनिया में अपनी पहचान रखता है। यहां की कला और हस्तशिल्प की भव्य विरासत तथा रंग बिरंगे त्यौहार प्रकृति की अपार शक्ति में लोगों के विश्वास को दर्शाता है। अरुणाचल प्रदेश में समुद्र तल से 5754 फीट की ऊंचाई पर स्थित जाइरो-जिरो, जो अपने सांस्कृसतिक विरासत और मनमोहक दृश्य के लिए जाना जाता है। अपनी खूबसूरती की वजह से ही यह कस्बा यूनेस्को के विश्व विरासत स्थलों में नामांकित भी हुआ है। अरूणाचल प्रदेश…
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