अमेरिका में शर्मसार लोकतंत्र

सुरेश हिन्दुस्थानी। दुनिया में लोकतांत्रिक देशों की सूची में सबसे ऊपर माने जाने वाले अमेरिका में लोकतंत्र पर कुठाराघात हुआ है। हालांकि जहां तक लोकतंत्र की बात है तो सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि लोकतंत्र में जनमत का बहुत बड़ा योगदान होता है। इसमें यह भी महत्व का विषय है कि जनता अपने वोट के आधार पर यह तय करती है कि उसे क्या पसंद है और क्या नापसंद। इसी के आधार पर सत्ता का रास्ता तैयार होता है। लोकतांत्रिक पद्धति में जहां एक पक्ष को जय मिलती है,…

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पाकिस्तान में जय जय

सुरेश हिन्दुस्थानी। पड़ोसी देश पाकिस्तान में हिन्दू आस्था केंद्रों के जय जयकार का उद्घोष होना यूँ तो कालबाह्य हो गया है। लेकिन अभी हाल ही में जिस प्रकार से एक मंदिर को तोड़ा गया है, और उसके बाद आक्रोशित हिन्दू समाज ने जो प्रतिक्रिया दी, वह अपने अस्तित्व को बचाने के लिए एक शक्तिशाली कदम माना जा रहा है। उसी की परिणति स्वरूप पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की सरकार को आदेशित किया है कि मुल्ला मौलवियों की उपस्थिति में विध्वंश किए मंदिर को पुनस्र्थापित किया जाए।…

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भारतीय रेल में हो रहे कई क्रांतिकारी बदलाव

प्रहलाद सबनानी। पूरे विश्व में ही यात्रा एवं माल ढोने के लिए रेल्वे एक कुशल साधन माना जाता है। कई देशों के आर्थिक विकास को गति देने का श्रेय वहां विकसित की गई दक्ष रेल्वे लाइनों के योगदान को भी दिया जाता है। विश्व के कई विकसित देशों, जैसे जापान, फ्ऱान्स, कनाडा, सिंगापुर, चीन, अमेरिका आदि, के महानगरों में भीड़ की आवाजाही को नियंत्रित करने में वहां विकसित की गई मेट्रो रेल का भी बहुत बड़ा योगदान है। यूरोप के कई देश तो विकसित देशों की श्रेणी में ही इसीलिए…

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नये साल में शनि की साढ़े साती

डेस्क। शनिदेव को कर्म फल दाता माना जाता है। कहते हैं कि शनि देव सभी के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब रखते हैं और उसी के हिसाब से फल देते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, कुंडली में शनि ग्रह की स्थिति कमजोर होने पर व्यक्ति को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसी तरह शनि की साढ़े साती या शनि की ढैय्या का असर व्यक्ति के जीवन पर बुरा प्रभाव डालता है। ज्योतिषविदों के मुताबिक, साल 2021 में शनिदेव मकर राशि में ही रहेंगे और 23 मई 2021 को मकर राशि में…

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एग्रीकल्चर ही नहीं: कल्चर की भी लड़ाई लड़ रहा है किसान

शुभम मिश्र दयानंद। 2016 में प्रधानमंत्री मोदी एक औपचारिक घोषणा में, 2022 में किसानों की दोगुनी आय का लक्ष्य निर्धारित किया था। चार वर्षों से भी कम समय में जब किसान बढ़ती लागत, लागत की तुलना में कम उत्पादन, महंगी होती कृषि और कोविड महामारी के दौर से जूझ रहा है तब मोदी सरकार ने कृषि से जुड़े तीन अध्यादेश संसद में रखे जो अब कानून का रूप ले चुका है। सरकार इसे कृषि क्षेत्र में इतिहासिक सुधार वाला कानून बता रहा हैं जबकि इसके विपरीत विपक्ष संसद से लेकर…

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