सौभाग्य गरीब की जिन्दगी बदलने का सबब बने

ललित गर्ग। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने एक सम्बोधन में कहा कि हम केवल शिलान्यास ही नहीं करते, बल्कि उद्घाटन भी करते हैं। उनके इस बयान में सच्चाई है। वे जो भी घोषणाएं करते हैं, उन घोषणाओं की क्रियान्विति पर भी उनका ध्यान केन्द्रित रहता है। लालकिला की प्राचीर से दिये गये संबोधन में उन्होंने एक हजार दिनों के भीतर देश के हर गांव में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया था। सोमवार को ‘प्रधानमंत्री सहज हर घर बिजली’ यानी ‘सौभाग्य’ योजना का शुभारंभ करते हुए 2019 तक हर घर…

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गुजरात विधानसभा चुनाव की हुंकार

ललित गर्ग। इन दिनों देश में गुजरात के विधानसभा चुनाव चर्चा का विषय बने हुए है, राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हो गयी है,  चुनाव आयोग अब सितम्बर में किसी भी वक्त गुजरात में चुनाव की तिथियों की घोषणा कर सकता है। सत्तारूढ़ भाजपा के लिए यह चुनाव चुनौतीपूर्ण बनता जारहा है, भले ही कुछ पूर्वानुमानों में एवं एबीपी न्यूज- लोकनीति सीएसडीएस के ओपिनियन पोल में बीजेपी के खाते में सबसे ज्यादा सीटें जाने का अनुमान जताया गया है। हाल ही में गुजरात में हुए राज्यसभा के चुनाव के दौरान अहमद…

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बांध का उद्घाटन से पहले ही ढह जाना!

ललित गर्ग। एक बांध उद्घाटन होने से पहले ही ढह गया, भ्रष्टाचार के एक और बदनुमे दाग ने राष्ट्रीय चरित्र को धुंधलाया है, समानान्तर काली अर्थव्यवस्था इतनी प्रभावी है कि वह कुछ भी बदल सकती है, कुछ भी बना और मिटा सकती है। यहां तक की लोगों के जीवन से खिलवाड़ भी कर सकती है। गुजरात में एक बांध का उद्घाटन नयी संभावनाओं के द्वार खोल रहा है तो बिहार में एक बांध राष्ट्र के जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर कर रहा है। देश को सम्भालने एवं सृजन करने…

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पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी से जुड़े सवाल

ललित गर्ग। हाल के दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमत साल 2014 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें तीन साल पहले के मुकाबले आधी रह गई हैं, बावजूद इसके देश में पेट्रोल, डीजल की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है। पेट्रोल और डीजल के दाम बढऩे का सीधा असर आम-आदमी की थाली पर पड़ता है। गरीबों के साथ यह क्रूर मजाक है। महंगाई बढऩे का कारण बनता है पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी होना। इससे मध्यम…

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शक्ति की उपासना और कन्याओं पर बढ़ते जुल्म

ललित गर्ग। शताब्दियों से हम साल में दो बार नवरात्र महोत्सव मनाते हुए कन्याओं को पूजते हैं। पूरे नौ दिन शक्ति की उपासना होती है। दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना करके लोग उनसे अपने घर पधारने का अनुरोध करते हैं। लेकिन विडम्बना देखिये कि सदियों की पूजा के बाद भी हमने कन्याओं को उनका उचित स्थान और सम्मान नहीं दे पाये हैं। हाल ही कि दो घटनाओं पर नजर डाले, जिनमें एक है तमिलनाडु में एक मजदूर की बेटी अनीता जिसने मेडिकल कॉलेज में दाखिला न मिलने के कारण…

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