शिव एक विशिष्ट देव

डा. राधेश्याम द्विवेदी। शिव हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वे त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव भी कहते हैं। इन्हें महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे ‘भैरव’ के नाम से भी जाना जाता है। वेद में इनका नाम ‘रुद्र’ है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धाङ्गिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। शि-व का मतलब है -वह जो है ही नहीं । जो है ही नहीं, वह सिर्फ सो सकता है।…

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युद्ध का अंधेरा नहीं, शांति का उजाला हो 

ललित गर्ग। भूटान के दावे वाले डोकलाम में भारत और चीन की सेनाओं के बीच जारी तनातनी जिस तरह खत्म हुई वह भारतीय कूटनीति की एक बड़ी कामयाबी है। इससे न केवल भारत का अंतरराष्ट्रीय कद बढेगा, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि एक साहसी लेकिन अहिंसक नेता के रूप में सामने आयेंगी। उन्होंने अपने निर्णयों से यह सिद्ध किया है कि वे भारतीय हितों की रक्षा के लिए किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम हैैं। वे दोस्ती, विश्वशांति एवं सह-अस्तित्व भावना को लेकर ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में…

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साहित्य के अनुशीलन को प्रेरित करती पत्रिका

नाज खान। संगीत नाटक अकादेमी की छमाही पत्रिका ‘राजभाषा रूपाम्बरा’ का अप्रैल-सितंबर 2016 अंक इसलिए भी खास है, क्योंकि इस वर्ष हिंदी साहित्य और लेखन से जुड़ी दो महान शख्सियतों पद्मभूषण अमृतलाल नागर और हिंदी आलोचक डॉ. नगेंद्र का जन्मशती वर्ष भी है। ऐसे में पत्रिका का यह अंक इन दो महान विभूतियों पर केंद्रित किया गया है। जन्मशती वर्ष को ध्यान में रखते हुए पत्रिका के संपादक तेजस्वरूप त्रिवेदी ने इस अंक में जहां हिंदी जगत की इन दो महान विभूतियों पर संग्रहणीय सामग्री देने की कोशिश की है।…

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विकृत धार्मिकता और अंध-आस्था से मुक्ति मिले

ललित गर्ग। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को बलात्कार के मामले में पंचकूला की सीबीआइ अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद बड़े पैमाने पर उपद्रव, आगजनी और हिंसा का जो नजारा देखने में आया, वह देश केे लिये दुखद एवं त्रासद स्थिति है। आखिर कब तक तथाकथित बाबाओं की अंध-भक्ति और अंध-आस्था कहर बरपाती रहेगी और कब तक जनजीवन लहूलुहान होता रहेगा? कब तक इन धर्म की विकृतियां से राष्ट्रीय अस्मिता घायल होती रहेगी?  कब तक सरकारें इन बाबाओं के सामने नतमस्तक बनी रहेगी? कब तक…

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तीन तलाक : एक कुप्रथा का अंत

सुरेश हिन्दुस्थानी। मुस्लिम समाज में तीन तलाक को लेकर जिस प्रकार से महिलाएं प्रताडऩा का शिकार हो रही थी, आज उससे छुटकारा मिल गया। देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था उच्चतम न्यायालय ने तीन तलाक के मामले में अभूतपूर्व निर्णय देते हुए इस कुप्रथा पर छह महीने के लिए रोक लगादी है। न्यायालय का यह निर्णय वास्तव में मुस्लिम समाज की महिलाओं के उत्थान के लिए स्वागत योग्य कदम है। पांच न्यायाधीशों के एक पैनल ने इस पूरे मामले की सुनवाई की। तीन जजों ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया।…

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