भोजन की बर्बादी एक त्रासदी है

ललित गर्ग। हर रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संवेदनशील एवं सामाजिक हो जाते हैं। देश की जनता से ‘मन की बातÓ करते हुए वे सामाजिक, पारिवारिक एवं व्यक्तिगत मुद्दों को उठाते है और जन-जन को झकझोरते हैं। इसी श्ंाृखला की ताजा कड़ी में देशवासियों को भोजन की बर्बादी के प्रति आगाह किया। भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश के लिए यह पाठ पढऩा जरूरी है। क्योंकि एक तरफ विवाह-शादियों, पर्व-त्यौहारों एवं पारिवारिक आयोजनों में भोजन की बर्बादी बढ़ती जा रही है, तो दूसरी ओर भूखें लोगों के द्वारा भोजन की…

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गणगौर: नारी शक्ति और संस्कार का पर्व

बेला गर्ग। गणगौर का त्यौहार सदियों पुराना हैं। हर युग में कुंआरी कन्याओं एवं नवविवाहिताओं का अपितु संपूर्ण मानवीय संवेदनाओं का गहरा संबंध इस पर्व से जुड़ा रहा है। यद्यपि इसे सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मान्यता प्राप्त है किन्तु जीवन मूल्यों की सुरक्षा एवं वैवाहिक जीवन की सुदृढ़ता में यह एक सार्थक प्रेरणा भी बना है। गणगौर शब्द का गौरव अंतहीन पवित्र दाम्पत्य जीवन की खुशहाली से जुड़ा है। कुंआरी कन्याएं अच्छा पति पाने के लिए और नवविवाहिताएं अखंड सौभाग्य की कामना के लिए यह त्यौहार हर्षोल्लास के साथ…

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वयोश्री योजना: वाहवाही लूटने का माध्यम न बने

ललित गर्ग। वर्तमान दौर की एक बहुत बड़ी विडम्बना है कि इस समय की बुजुर्ग पीढ़ी घोर उपेक्षित है। ऐसे बेसहारा एवं उपेक्षित वृद्ध व्यक्तियों के लिए केन्द्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय ‘वयोश्री योजना शुरू  है, यह स्वागतयोग्य है। यह अच्छी बात है कि केंद्र सरकार अपने देश के वृद्ध लोगों के लिये कल्याण के लिये कुछ अलग और अनूठा करना चाह रही है, जिससे एक सम्पूर्ण पीढ़ी का जीवन स्तर उन्नत हो सके और इसी से नया भारत भी बन सकेगा। चिन्तनीय है कि आखिर ऐसे क्या कारण…

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परिवार को पतन की पराकाष्ठा न बनने दें

ललित गर्ग। वर्तमान दौर की एक बहुत बड़ी विडम्बना है कि पारिवारिक परिवेश पतन की चरम पराकाष्ठा को छू रहा है। अब तक अनेक नववधुएँ सास की प्रताडऩा एवं हिंसा से तंग आकर भाग जाती थी या आत्महत्याएँ कर बैठती थी वहीं अब नववधुओं की प्रताडऩा एवं हिंसा से सास उत्पीडि़त है, परेशान है। वे भी अब आत्महत्या का सहारा ले रही हंै, जो कि न केवल समाज के असभ्य एवं त्रासद होने का सूचक है बल्कि नयी बनी रही पारिवारिक संरचना की एक चिन्तनीय स्थिति है। आखिर ऐसे क्या…

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पीएम मोदी का पिटा हुआ फैसला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर की शाम किए गए नोटबंदी के ऐलान को सौ दिन पूरे हो चुके हैं। प्रधानमंत्री का वादा था कि इस फैसले से उपजी परेशानियां 50 दिन में समाप्त हो जाएंगी। मगर सौ दिन पूरे होने के बाद भी नोटों से जुड़ी लोगों की दिक्कतें खत्म नहीं हुई हैं। नवीनतम आंकड़े (जो 20 जनवरी 2017 तक के ही हैं) बताते हैं कि लोगों के पास करंसी पिछले साल के मुकाबले 40 फीसदी कम है। एटीएम के सामने खड़ी लंबी कतारें अब नहीं दिख रहीं, लेकिन…

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