दो संस्कृतियों के संगम थे संत कबीर

ललित गर्ग। महामना संत कबीर भारतीय संत परम्परा और संत-साहित्य के महान् हस्ताक्षर है। हमारे यहां संत-साहित्य का एक विशिष्ट महत्व रहा है। क्योंकि इस साहित्य ने कभी भोग के हाथों योग को नहीं बेचा, धन के बदले आत्मा की आवाज को नहीं बदला तथा शक्ति और पुरुषार्थ के स्थान पर कभी संकीर्णता और अकर्मण्यता को नहीं अपनाया। ऐसा इसलिये संभव हुआ क्योंकि कबीर अध्यात्म की सुदृढ़ परम्परा के संवाहक भी थे। सत्व, रज, तम तीनों गुणों को छोड़कर वे त्रिगुणातीत बन गये थे। वे निर्गुण रंगी चादरिया रे, कोई…

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कांग्रेस को वामपंथी मंच बनाना होगा

राजेन्द्र शर्मा। पिछले ही दिनों हुए विधानसभायी चुनावों के नतीजों में आम तौर पर मीडिया ने भाजपा के उछाल की जो कहानी खोजी है, वह जितनी अतिरंजित है, इन नतीजों में देखी गई. कांग्रेस के पराभव की कहानी उतनी अतिरंजित नहीं है. अपने सारे दूरगामी नतीजों के बावजूद असम में भाजपा का पहली बार सत्ता में पहुंचना, वह चाहे गठजोड़ के सहारे ही क्यों न हो, नरेन्द्र मोदी की भाजपा की जितनी बड़ी कामयाबी है, विधानसभायी चुनावों के इस चक्र में कांग्रेस को लगा धक्का उससे कहीं बड़ा है. यह…

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शाकाहार का बढऩा शुभ संकेत है

ललित गर्ग। इन दिनों दुनियाभर में शाकाहार का चलन बढ़ रहा है। जिन समाजों में मांसाहार का प्रचलन अधिक रहा है, वहां भी बहुत से लोग मांसाहार छोड़कर शाकाहारी खानपान अपना रहे हैं। कई देशों में शाकाहार एक व्यापक आन्दोलन का रूप लेता जा रहा है और वहां के खानपान में शाकाहार को प्राथमिकता मिल रही हैं। जबकि हमारे देश की संस्कृति अहिंसा की संस्कृति रही है और शाकाहार को अहिंसक जीवनशैली माना जाता रहा है। हमारे यहां तो शाकाहार बिना किसी आन्दोलन के लोकप्रिय होना चाहिए और ऐसा हो…

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बचत से बढ़ेगी सेना की ताकत

वी.पी. मलिक। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने ले. जनरल डीबी शेखावत के नेतृत्व में एक 12-सदस्यीय समिति का गठन किया है जो थल, वायु और नौसेना के मौजूदा ताने-बाने में बदलाव लाने के लिए अपने सुझाव देगी और फालतू तंत्र की कांट-छांट करने के साथ-साथ रखरखाव के खर्चे को कम करने के उपाय सुझाएगी। समिति की सिफारिशों से उन पदों को समाप्त किया जा सकेगा जो तकनीकी उन्नति के चलते अब बेमानी हो चुके हैं। समिति यह भी सुनिश्चित करेगी कि आधुनिकीकरण करने का यह मतलब नहीं कि सुरक्षा सैनिकों…

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दूसरों की जिंदगी रोशन करने का सुख

ललित गर्ग। वास्तविक खुशी और प्रसन्नता के कारणों पर कनाडा में एक शोध हुआ। उसके अनुसार धन की अधिकता से ही व्यक्ति प्रसन्नता महसूस नहीं करता है। बल्कि लोग अपना धन दूसरों पर खर्च कर ज्यादा प्रसन्न महसूस करते हैं। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि चाहे खर्च की गई रकम छोटी ही क्यों न हो, व्यक्ति को प्रसन्न बनाती है। शोध में वे कर्मचारी ज्यादा खुश पाए गए जो बोनस की सारी रकम खुद पर खर्च करने के बजाय कुछ रकम दूसरों पर भी खर्च करते हैं।…

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