कृष्णमोहन झा उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी में कौमी एकता दल के विलय को रुकवाकर यह साबित कर दिया है कि वे राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के बेटे भर नहीं है बल्कि मुख्यमंत्री के रूप में उनकी अपनी निजी हस्ती भी है और पार्टी के महत्वपूर्ण फैसलों में उनकी अपनी राय को नजरअंदाल नहीं किया जा सकता। विगत दिनों जब राज्य के वरिष्ठ मंत्री शिवपाल यादव ने कौमी एकता दल के समाजवादी पार्टी में विलय की घोषणा की थी तो मुख्यमंत्री को…
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धर्मगुरुओं का व्यावसायी हो जाना !
ललित गर्ग। हाल में हमारे देश में अनेक ऐसे धर्मगुरुओं का उभार हुआ है, जिन्होंने धर्म को धन से जोड़ दिया है। वे भारत में सबसे तेज रफ्तार से उपभोक्ता सामान बेच कर लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं। उनके प्रशंसकों की संख्या करोड़ों में है जो उन्हें धर्मगुरु से ज्यादा एक व्यावसायिक के रूप में प्रतिष्ठा दिला रहे हैं। यह एक विडम्बनापूर्ण स्थिति है। कभी हमारे यहां धर्म की राजनीति में घूसपैंठ होती रही है तो अब आर्थिक गतिविधियों से उनका गठबन्धन हो रहा है। जब-जब ऐसी स्थितियां हुई हैं,…
Read Moreघरेलू महिलाओं के अस्तित्व से जुड़े प्रश्न
ललित गर्ग। एक महिला एक कंपनी में काम करती है। निश्चित अवधि एवं निर्धारित दिनों तक काम करने के बाद उसे एक निर्धारित राशि वेतन के रूप में मिलती है। उसके इस कार्य को और उसके इस क्रम को राष्ट्रीय उन्नति के योगदान के रूप में देखा जाता है। यह माना जाता है कि देश के आर्थिक विकास में अमुक महिला का योगदान है। दूूसरी ओर एक महिला शादी के बाद नई घर-गृहस्थी में जाती है। वह सुबह उठने से लेकर रात के सोने तक अनगिनत सबसे मुश्किल कामों को…
Read Moreराहुल की ताजपोशी और कांग्रेस की बेचैनी
सुरेश हिन्दुस्थानी। देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस में इस समय बेचैनी सा छाई हुई है। इसी बेचैनी के चलते कांग्रेस का केन्द्रीय नेतृत्व अपने राजनीतिक उत्थान के लिए मंथन करता दिखाई दे रहा है। देश के प्रचार तंत्र ने यह साफ संकेत दे दिया है कि राहुल गांधी कांग्रेस प्रमुख की भूमिका में जल्दी ही आ सकते हैं। वैसे तो कांग्रेस को पिछले कई वर्षों से राहुल गांधी और उनके आसपास रहने वाले नेता ही चलाते आ रहे हैं, इसलिए यह कहना कि राहुल को जिम्मेदारी दी जा…
Read Moreउम्मीद और आशंकाओं के बीच मानसून
शंभूनाथ शुक्ल। पिछले दो वर्षों से लगातार कम और बेमौसम की बारिश ने पूरे देश का मिजाज बिगाड़ रखा था। इसलिए जब इस वर्ष अच्छी वर्षा की संभावना जताई गई तो खुशी की लहर दौड़ गई थी। मगर अब अच्छी बारिश की मेजबानी आशंकाएं भी बढ़ा रही है और सभी राज्यों का प्रशासन परेशान दिख रहा है। आशंका की वजह है बारिश का पानी न समेट पाने की कार्यनीति। मौसम विज्ञान विभाग ने सामान्य से ज्यादा वर्षा की उम्मीद जताई है और जिस तरह से केरल में मानसून दाखिल हुआ,…
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