अशांति के कोलाहल के बीच शांति का स्वर

ललित गर्ग। सृजन में शोर नहीं होता। साधना के जुबान नहीं होती। किंतु सिद्धि में वह शक्ति होती है कि हजारों पर्वतों को तोड़कर भी उजागर हो उठती है। यह कथन ध्यानगुरु अर्चना दीदी पर अक्षरश: सत्य सिद्ध होता है। अर्चना दीदी ने साधना के क्षेत्र में जो प्रगति की है, वह बेजोड़ है। चार साल की बालावस्था में उनमें गहन आध्यात्मिकता की विलक्षण रश्मियां प्रवाहित होने लगी। इस बात को उनके चारों ओर बहुत ही कम समय में हर कोई महसूस करने लगा था। खेलने-कूदने की उम्र में उन्हें…

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होसबोले का होश उड़ा देगा उप्र का जातिगत सामाजिक समीकरण

कर्मेन्द्र सिंह गौर, राजनीतिक समीक्षक/स्वतंत्र टिप्पणीकार।–उत्तर प्रदेश के नेतृत्व के मुद्दे पर लम्बी कवायद के बाद भी भाजपा नेतृत्व अभी तक एक अदद प्रदेश अध्यक्ष की खोद कर पाने में अभी तक विफल साबित हो रहा है। जहां सपा व बसपा अपनी-अपनी चुनावी गणित बिठाने के काम में तेजी से जुटे हुए है और अधिकांश प्रत्याशियों का निर्णय भी हो चुका है और भाजपा अभी तक प्रदेश अध्यक्ष का नाम भी घोषित नहीं कर पायी है। जनवरी महीने में भी धर्म पाल सिंह के ताजपोशी का निर्णय लिया जा चुका था।…

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क्या डॉ. आम्बेडकर भी देशद्रोही थे

एस.आर.दारापुरी। आज कल पूरे देश में देशभक्ति की सुनामी आई हुयी हैण् कभी वह जेएनयू में देशद्रोहियों को बहा ले जाती है और अब वह महाराष्ट्र के असेम्बली हाल तक पहुँच गयी है जो एमआईएम पार्टी के विधान सभा सदस्य वारिस पठान को बहा ले गयी है क्योंकि उस ने भारत माता की जय का नारा लगाने से मना कर दिया थाण् परिणामस्वरूप उसे भाजपा कांग्रस और एनसीपी ने मिल कर निलंबित कर दिया। अब सवाल पैदा होता है कि क्या किसी सदस्य द्वारा उक्त नारा लगाना कोई संवैधानिक बाध्यता…

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छात्रों को देशभक्ति के रंग में रंगा जाए

संजय त्रिपाठी। छात्रों में इन्फेक्शन फैल रहा है, रोकने के लिए ऑपरेशन जरूरी यह बात दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टीस प्रतिभा रानी ने जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी ( जेएनयू ) के छात्र नेता कन्हैया की गिरफ्तारी के 19 दिन बाद 6 महीने की अंतरिम जमानत की फैसला सुनाते हुए कहा । इस फैसले में उन्होंने कई ऐसी तल्खी टिप्पणी की हैं जो एक बार फिर छात्र राजनीति और उच्च शिक्षा परिसरों में राजनीति से मुक्ति पर मंथन करने पर विवश कर दिया है । इसी संदर्भ में राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रद्रोह का…

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भ्रस्ट राजनेता और असहाय नागरिक

एस.के.दुबे। हमारा देश पृथ्वी के ऊपर भौगोलिक परिस्थितियों एव जलवायु संसाधन के प्राकृतिक बरदान से एक स्मृध देश है। परंतु भ्रस्ट राजनेताओ के कारण यहाँ के मतदाता निरंतर असहाय की परिस्थिति मे रहते हुए अपनी दिनचर्या की आवस्यकताओं को पूरा करने मे असमर्थ है। धनार्जन हर ब्यक्ति की आवश्यकता एव उद्देस्य है। परंतु योग्यता के अनुशार कार्यो का न होना, उचित साधन की कमी, उचित वितरण प्रणाली का न होना, न्यायोचित कार्याओ के न होने आदि से धन की कमी निरंतर बनी रहती है। कोई भी माननीय बनने के पहले…

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