ललित गर्ग। भारत में त्योहारों एवं उत्सवों की एक समृद्ध परम्परा है, इनका सम्बन्ध किसी जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्र से न होकर आपसी सौहार्द एवं समभावना से है। यहाँ मनाये जाने वाले सभी त्योहारों की मूल भावना मानवीय गरिमा को समृद्धता प्रदान करना है। यही कारण है कि हमारे देश में सभी प्रमुख त्योहारों एवं उत्सवों को सभी धर्मों के लोग आदर के साथ मिलजुल कर मनाते हैं। होली भारतीय समाज का एक प्रमुख त्योहार है, यह त्योहार जितना धार्मिक है, उतना ही सांस्कृतिक भी है, जिसका लोग बेसब्री के…
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भारत में सामाजिक न्याय की दिशा व दशा
कुलिन्दर सिंह यादव। सामाजिक न्याय का आशय सामाजिक आर्थिक समानता प्राप्त करना ताकि देश की पूरी जनसंख्या राष्ट्र की मुख्यधारा से जुड़ी हो दूसरे शब्दों में सामाजिक न्याय का आशय हैं। समाज के सभी वर्गों को आगे बढऩे के समानअवसर मिले इसका मुख्य उद्देश्य मानव संसाधन विकास है जो डाक्टर अमरत्व सेन की संकल्पना पर आधारित है। उनके अनुसार पूँजी का आशय मुद्रा से नहीं होता है क्योंकि मानव पूँजी सर्वश्रेष्ठ होती है वहीं मुद्रा पूँजी का सृजनकरती है। अत: मानव पूंजी में निवेश करना अथवा सामाजिक क्षेत्रों में निवेश…
Read Moreअवसर व समाधान को गूंथता बजट
पुष्पेंद्र कुमार। बजट एक व्यापक दस्तावेज है जिसमें अनेकों प्रकार की व्यवस्थाएं और घोषणाएं होती हैं लेकिन आम बजट 2016-17 को वित्तीय अनुशासन के मानकों का पालन करने और गांवों की मौलिक समस्या के समाधानों को एकसूत्रित करने वाला बजट है। सरकार ने लोकप्रियता वाली घोषणाओं से बजटीय बोझ बढ़ाने के अदूरदर्शी, लेकिन आसान विकल्प की जगह स्थायित्व और सदृढ़ीकरण पर बल दिया। याद कीजिए कि साल 2009-11 के दौरान यूपीए सरकार द्वारा 2013-14 के सालों में वित्तीय अनुशासन को तोडऩे का परिणाम था कि बाद के दो वर्षों में…
Read Moreभारतीय वन क्षेत्र में आकड़ों का खेल
कुलिंदर सिंह यादव। भारतीय वन सर्वेक्षण ने देश के वन क्षेत्रो का मापन पहली बार वर्ष 1987 में किया था। जिसके लिए उसने बस 1981-83 के दौरान संग्रहित उपग्रह डेटा का प्रयोग कियाहाल ही में जारी उसकी दिवार्षिक रिपोर्ट से पता चलता ह। पिछले तीन दशक में भारत के क्षेत्र में 60854 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। जबकि सघन वन श्रेणी के अंतर्गत 43907 वर्ग किलोमीटर के वृद्धि दर्ज की गई पिछले 2 वर्षों में जहां समग्र वन क्षेत्र में 3775 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है वही हमारे…
Read Moreअसमानता के लिए आरक्षण ज़िम्मेदार
शालिनी श्रीवास्तव। हमारे देश में तीन मुद्दे ऐसे है जिसपर सरकार तो सरकार आम आदमी की भी बहस कभी ख़त्म नहीं होती। सबसे पहले आता है मँहगाई दूसरे नम्बर पर है राजनीति और तीसरा है आरक्षण। आयेदिन हमारे देश में आरक्षण को लेकर कोई न कोई बखेड़ा खड़ा होता रहता है। ताज़ा मामला है जाट आरक्षण का। इसके पहले भी न जाने कितने ऐसे ही आरक्षण के मामले आते जाते रहे। हमारे देश के शुभ चिंतको ने जिस सोच के मद्देनजऱ आरक्षण की वकालत की थी, अब न वो सोच…
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