विराटता में असीम चेतना की अनुभूति

बनी सिंह जांगड़ा। सारा ब्रह्माण्ड एक नियम में अनन्त काल से चलता आ रहा है। नक्षत्र, चांद, सितारे, धरती आदि सब कुछ एक नियम में गतिमान हैं। प्रकृति के हर क्षेत्र में न जाने कितने लोग शोध कार्य कर चुके हैं, कितने अभी कार्यरत हैं और न जाने कितने और प्रकृति के बारे में जानने में लगे हैं। शोधार्थी अपने कार्य को करते-करते इस संसार से ही विदा हो जाते हैं परंतु इस प्रकृति व परमात्मा के गर्भ में दबे पड़े रहस्य पूरे जानने में नहीं आते। परमात्मा तथा प्रकृति के…

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डॉ. आंबेडकर: आधुनिक भारत के निर्माता

एसआर दारापुरी। डॉ. बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर एक अछूत परिवार में पैदा हुए थे जो सभी प्रकार के सामाजिक, शैक्षिक, धार्मिक व राजनीतिक अधिकारों से वंचित वर्ग था। इसके बावजूद भी उनकी गिनती दुनिया के सबसे अधिक शिक्षित लोगों में की जाती है। उनके पास अमेरिका, इंग्लैण्ड तथा जर्मनी की उच्च डिग्रियां थीं। इतना शिक्षित होते हुए भी उन्हें समाज में घोर अपमान का सामना करना पड़ा। जब वे महाराजा बड़ोदा के दरबार में सैनिक सलाहकार के उच्च पद पर नियुक्त हुए तो उन्हें इतना अपमानित होना पड़ा कि उन्हें…

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सोलर अलायंस का सपना

पैरिस पर्यावरण सम्मेलन में भारत ने सोलर अलायंस के रूप में एक अनोखी पेशकश रखी है। कर्क रेखा से मकर रेखा के बीच पडऩे वाले सौ के लगभग देशों में पूरे साल अच्छी धूप खिली रहती है। ये देश अगर सौर ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ा दें तो न सिर्फ ये अपनी काफी सारी ऊर्जा जरूरतें एक अक्षय ऊर्जा स्रोत से पूरी करेंगे, बल्कि दुनिया के कार्बन उत्सर्जन में भी जबर्दस्त कटौती देखने को मिलेगी। मेजबान देश फ्रांस भारत की इस पेशकश में बराबर के भागीदार की तरह शामिल हो रहा…

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मिसाइलरोधी स्वदेशी सुरक्षा कवच

एलएस यादव। भारत ने हाल ही में स्वदेश में विकसित सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। यह मिसाइल शत्रु की तरफ से आने वाली किसी भी बैलिस्टिक मिसाइल को बीच में ही ध्वस्त करने में सक्षम है। ओडिशा के धामरा के अब्दुल कलाम द्वीप पर इस मिसाइल को जैसे ही शत्रु की मिसाइल के आने का संकेत मिला, वैसे ही इसने उसे हवा में दो किलोमीटर की अंत:वायुमंडलीय ऊंचाई पर इलेक्ट्रॉनिक लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेदते हुए नष्ट कर दिया। परीक्षण के बाद डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने बताया कि परीक्षण के…

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बुढ़ापे को कानून का सहारा

संगीता भटनागर। पारिवारिक रिश्तों और सामाजिक मान्यताओं को पुख्ता करने में हिन्दी सिनेमा हमेशा से ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। हिन्दी सिनेमा ने जहां पुत्र की जिम्मेदारी उजागर करते हुए श्रवण कुमार जैसी फिल्में बनायीं तो उसने दूसरी ओर गांव की लड़कियों की आबरू की रक्षा करते हुए बेटे को गोली मारने जैसी मदर इंडिया भी हमें दी। इसी तरह की सन् 1969 में एक फिल्म आयी थी-एक फूल दो माली। इस फिल्म में एक गीत था-तुझे सूरज कहूं या चंदा, तुझे दीप कहूं या तारा, मेरा नाम करेगा…

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