मैं हिन्दी हूं। बहुत दुखी हूं। स्तब्ध हूं। समझ में नहीं आता कहां से शुरू करूं? कैसे शुरू करूं? मैं, जिसकी पहचान इस देश से है, इसकी माटी से है। इसके कण-कण से हैं। अपने ही आंगन में बेइज्जत कर दी जाती हूं! कहने को संविधान के अनुच्छेद 343 में मुझे राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। अनुच्छेद 351 के अनुसार संघ का यह कर्तव्य है कि वह मेरा प्रसार बढ़ाएं। पर आज यह सब मुझे क्यों कहना पड़ रहा है? नहीं जानती थी मेरा किसी राज्य-विशेष में किसी की जुबान…
Read MoreCategory: विचार
कुछ खास करने की बेला है
अरविंद त्रिपाठी। दबंग और माफिया भूमि और भवन पर कब्जा करते हैं। दबंग और माफिया कोई हो सकता है। सफेदपोश और नकाबपोश दोनों। जड़, जमीन और जंगल पर कब्जा करने की तरह ही दिल और दिमाग पर भी जबरिया कब्जा किया जाता है। अपनी जमीन पर असहाय आखों से कब्जा होते देखते रहने की तरह लोग समय गुजर जाने के बाद अपने मन और मस्तिष्क पर कब्जा कर लिए जाने की बात समझ पाते हैं। पांच साल तड़पते हैं। गरीबी और गुरुबत में घिसटती अपने जिन्दगी के लिए नेताओं को…
Read Moreसबसे बड़ी बाधा है अहंकारी होना
ललित गर्ग। मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी होती है उसका अहंकार। अहंकार प्रगति का सबसे बड़ा बाधक तत्व है। जो साधक विनम्र एवं ऋजु नहीं होता, उसके लिये सत्य के दरवाजे नहीं खुल सकते। अहंकार के वशीभूत हुआ व्यक्ति यह सोचता है कि यदि मैं झुक गया और सह लिया तो लोग मुझे छोटा एवं कमजोर समझकर मेरी उपेक्षा करेंगे परन्तु वास्तविकता ऐसी नहीं है। वास्तव में देखा जाये तो नम्र या विनीत होना कमजोरी या कायरता की नहीं, महानता की निशानी है और इसमें से ही जीवन की सार्थकता…
Read Moreबिहार चुनाव और सोशल साइट पर सक्रियत
बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखें आ गई हैं। चुनाव 12 अक्टूबर से शुरू होकर पांच चरणों में 5 नवंबर को संपन्न होगा। यानी राज्य में करीब एक महीना तक चुनावी माहौल बना रहेगा। लंबा चुनावी दौर आम तौर पर साधन-संपन्न दलों को फायदा पहुंचाता है। इससे चुनावी अटकलों और कयासबाजी को बल मिलता है, जिससे मतदाता प्रभावित होते हैं। यह सही है कि बिहार ने अतीत में चुनावी हिंसा झेली है, पर अब स्थितियां बदल गई हैं। बेहतर होता कि कम अवधि में ही चुनाव निपटा लिए जाते। बहरहाल, प्रचार…
Read Moreआप पर कलह की छाप
देश के सामाजिक व राजनीतिक चरित्र में बदलाव की आकांक्षा जगाकर अस्तित्व में आई आम आदमी पार्टी का चरित्र अन्य राजनीतिक दलों जैसा नजर आ रहा है। अब पंजाब में भी उसकी साख दांव पर है। लगता है नेतृत्व की निरंकुशता और वैचारिक स्वतंत्रता को दरकिनार करना आप का चरित्र बन गया है। पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाते हुए पंजाब के दो सांसदों का निलंबन इसी सोच को उजागर करता है। आप के संगठन में जिस तरह की कलह जारी है उसके निहितार्थ समझना कठिन नहीं है। लोकसभा चुनाव…
Read More