सदस्यों की खोज में गांव-गांव भटक रहे नक्सली

naxalजगदलपुर। ठंड के शुरू होते ही इलाके के जंगलों मेें हलचल तेज हो गई है। इन जंगलों में लाल आतंक के पर्याय बन चुके नक्सली अपने अभियानों को अंजाम देने में लगे हुए है। वहीं पुलिस भी इन पर नजर रखे हुए है। नक्सली जंगलों में नई भर्ती और आगे की योजना पर काम कर रहे है वहीं सुरक्षा बल के जवान भी नक्सलियों के मंसूबों पर पानी फेरने के लिए जंगलोंं में सघन आपरेशन चला रहे हैं।
ठंड का मौसम जंगलों में सबसे अनुकू ल माना जाता है, हालांकि यह मौसम जितना अनुकूल है उतना ही खतरनाक भी है। बरसात में जंगलों में पानी व जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में बरसात के दौरान नक्सली कैम्प और ठिकाने जंगलों से हटा लेते हैं। बरसात और इसके बाद ठंड में नक्सली क्या करते हैं, इसकी जानकारी लेने के लिए हमारे संवाददाता ने कुछ आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि बरसात के दौरान जंगलों में कोई विशेष अभियान नहीं चलता इस दौरान अधिकतर लोगों को अपने घर जाने की अनुमति दे दी जाती है और वह घर पर ही रह कर आराम करते हैं। इस दौरान वे अपने गांव और इलाके में ऐसे लोगों पर नजर रखते हंै जो नक्सलवाद से जुडऩे की इच्छा रखते हैं।
बरसात के बाद गुलाबी ठंड में इन नए लड़कों की भर्ती अभियान की शुरूआत होती है। छुट्टी पर गए नक्सली इन्हें अपने साथ जंगल ले जाते हैं। आत्मसमर्पित नक्सलियों की माने तो ठंड के करीब चार माह नये लड़कों की भर्ती अभियान के साथ इन नये लड़ाकों को ट्रेनिंग दी जाती है और इनमें से वर्ग के अनुसार सब को अलग-अलग काम में लगाया जाता है। इसी बीच बड़े हमलों और अन्य योजनाओं की भी तैयारी की जाती है। वहीं अपने कमजोर पडऩे वाले इलाकों में पकड़ बनाने के लिए गांव वालों की बैठक लेने का दौर भी इन्हीं दिनों चलता है।
बरसात के बाद नक्सली जंगलों में बारिश की तुलना में ज्यादा सक्रिय रहते हैं। इस दौरान सदस्यता अभियान के साथ-साथ अपने कमजोर पड़ते इलाकों में पकड़ मजबूत करने की कोशिश करते हैं। पुलिस व अन्य फोर्स भी नक्सलियों की इन नीति को निशाना बनाते हुए अपनी योजना पर काम करती हैं।
सुधीर जैन