सीएसआर द्वारा कम्पनियां किसी भी परियोजना के लिए ले सकती हैं सहायता: सीएस

लखनऊ। प्रदेश में स्थापित प्रत्येक कम्पनी, सार्वजनिक उपक्रम, जिनका नेट वर्थ 500 करोड़ रूपये या उससे अधिक है अथवा टर्नओवर 1000 करोड़ रूपये अथवा अधिक है अथवा नेट प्राफिट 5.00 करोड़ रुपये अथवा अधिक है, के निदेशक मण्डल को कॉर्पाेरेट सोशल रेस्पांसबिलिटी (सी.एस.आर.) समिति गठित करानी होगी। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व से सम्बन्धित कार्यकलापों को सुगम बनाने के लिये यह समिति कॉर्पाेरेट सोशल रेस्पांसबिलिटी (सी.एस.आर.) कार्य के विनियमन हेतु प्रख्यापित कम्पनी एवं सार्वजनिक उपक्रम के लिए सीएसआर पालिसी तैयार करने के साथ-साथ इससे सम्बन्धित कार्यकलापों हेतु धनराशि व्यय करने की संस्तुति तथा अनुश्रवण का कार्य करेंगी। उन्होंने कहा कि कॉर्पाेरेट सोशल रेस्पांसबिलिटी फण्ड का प्रयोग मुख्यत: स्वास्थ्य, स्वच्छता, शिक्षा, स्त्री सशक्तीकरण, पर्यावरणीय संपोशण, ग्रामीण खेलकूद, ग्रामीण विकास की परियोजनाएं, स्लम क्षेत्र विकास इत्यादि के प्रयोजन में किया जायेगा। राज्य मे क्रियाशील निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों को इस शासनादेश के प्रावधानों का पालन करना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य में कई बड़ी कम्पनियाँ निजी व सार्वजनिक क्षेत्र में क्रियाशील हैं, ये कम्पनियाँ पहले से ही सामाजिक विकास में योगदान दे रही हैं। उन्होंने कहा कि सामाजिक प्रयोजनों में कम्पनियों के प्रभावकारी प्रतिभाग से न केवल जनता में उनकी सकारात्मक छवि बनती है, बल्कि स्थानीय समुदाय के बीच निवेशकों के प्रति सद्भावना निर्माण से उद्योगों के सुचारू संचालन में सहायता भी मिलती है। उन्होंने कहा कि ऐसी सभी परियोजनाओं का डाटाबेस तैयार किया जायेगा, जिन्हें फण्ड या अतिरिक्त फण्ड की आवश्यकता है। इस डाटाबेस द्वारा कम्पनियां अपनी कॉर्पोरेट सोशल रेस्पांसबिलिटी के लिये किसी भी परियोजना का चयन हेतु सहायता ले सकती है।