बिहार चुनाव ने डाला खजाने पर सबसे ज्यादा भार

bihar-election newनई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव 2015 राज्य का अबतक का सबसे खर्चीला चुनाव साबित हुआ है। इस चुनाव से राज्य के खजाने पर तकरीबन 300 करोड़ रुपए का भार आया है। हालांकि इन खर्चों में राजनीतिक पार्टी द्वारा खर्च किए गए धन को नहीं जोड़ा गया है। ये सभी खर्चें इस्तेमाल गाडिय़ों का भुगतान, इनसे जुड़े लोगों का खर्च, चुनावी सामग्री और सुरक्षा के लिए किए गए इंतजाम के रुप में हैं। बिहार के अतिरिक्त मुख्य चुनाव आयुक्त आर लक्ष्मणन ने बताया कि विधानसभा चुनाव में होने वाले खर्च राज्य सरकार व लोकसभा चुनाव में आने वाली लागत को केंद्र सरकार वहन करती है।
विधानसभा चुनाव में खर्च हुए 300 करोड़ रुपए का सबसे बड़ा हिस्सा लगभग 152 करोड़ रुपए गाडिय़ों व उनके ईंधन, बूथ का निर्माण, टेंट व चुनावी सामग्री के तौर पर हुआ। 2010 में हुए विधानसभा चुनाव से तुलना की जाए तो ये खर्च पिछले चुनाव का डेढ़ गुना है। इस चुनाव में 89,000 वाहनों का प्रयोग किया गया, जबकि 75 करोड़ रुपए का भुगतान उनको दिया गया जिनकी गाडिय़ां चुनाव कार्य के लिए लगाई गईं थीं। चुनावी खर्च का एक बड़ा हिस्सा सुरक्षा के इंतजामों में खर्च हुआ। चुनाव अधिकारी ने बताया कि लगभग 78 करोड़ रुपए इस मद में खर्च हुआ, जिसे राज्य के गृह विभाग ने वहन किया। उन्होंने बताया कि सुरक्षा के पहलू को ध्यान में रखते हुए ऐसा पहली बार हुआ है कि सभी पोलिंग स्टेशन पर केंद्रीय बलों की तैनाती की गई हो। इस दौरान 750 केंद्रीय बलों की कंपनियों को लगाया गया। इनमें तीसरा बड़ा हिस्सा जो खर्च हुआ वह चुनाव में लगाए गए कर्मचारियों को दिए गए भत्तों का भुगतान है।