सर्वे: नवोन्मेष, कौशल विकास जेवरात क्षेत्र के लिए आवश्यक

jwellryअहमदाबाद। भारत में रत्न एवं जेवरात क्षेत्र पर सरकार और उद्योग दोनों द्वारा ध्यान देने की जरूरत है ताकि नए डिजाईन, प्रसंस्करण और कौशल विकास के लिहाज से वे वैश्विक बाजारों में बने रह सकें। यह बात एक सर्वेक्षण में कही गई। उद्योग संगठन ऐसोचैम और टारी के संयुक्त अध्ययन के मुताबिक वैश्वीकरण के साथ उपभोक्ताओं की पसंद तेजी से बदली है और नए और नवोन्मेषी डिजाईनों की मांग काफी तेजी से बढ़ी है। ऐसी स्थिति में भारतीय विनिर्माताओं द्वारा नए तरीके अपनाने और अनुसंधान करने की जरूरत है। ऐसोचैम और टारी के सर्वेक्षण में इस असंगठित क्षेत्र में आमूल परिवर्तन का भी आह्वान किया गया है जिसके दायरे में करीब 80 प्रतिशत घरेलू बाजार आते हैं। रपट में कहा गया कि जीवनशैली के पश्चिमीकरण के कारण भारतीय उपभोक्ताओं द्वारा जेवरात के नए डिजाइनों और किस्मों की मांग हो रही है। बाजार में 20 प्रतिशत योगदान करने वाले ब्रांडेड जौहरी उनकी बदलती मांग को स्थानीय असंगठित इकाइयों के मुकाबले ज्यादा अच्छी तरह पूरा करने में समर्थ हैं। रपट में कहा गया उपभोक्ताओं की मांग अब वैश्विक स्तर पर गैर-ब्रांडेड से ब्रांडेड जेवरात की ओर बढ़ रही है। 2011 में यह बढ़कर 20 प्रतिशत हो गई जो 2003 में सिर्फ 10 प्रतिशत थी और 2020 तक यह बढ़कर 30 प्रतिशत हो जाने वाली है।
एजेंसियां