उप्र की सत्ता हांसिल कर अपना उद्धार स्वयं करने की क्षमता पुन: प्राप्त करें बसपाई-मायावती

mayawatiलखनऊ फरवरी। बसपा अध्यक्ष मायावती ने उप्र इकाई के पदाधिकारियों व प्रमुख कार्यकर्ताओं की बैठक में चुनावी तैयारियों की भी समीक्षा करते हुए कहा कि चुनावी वर्ष में पूरी लगन व तन्मयता के साथ बसपा मूवमेन्ट के मिशनरी काम में लगें, ताकि सत्ता की मास्टर चाभी प्राप्त कर उसके माध्यम से अपना उद्धार स्वयं करने की क्षमता पुन: प्राप्त हो सके। भविष्यवाणी करते हुए उन्होने कहा कि सपा सरकार के बाकी बचे दिनों में प्रदेश की जनता की और भी ज्यादा बुरे दिन देखने पडऩे वाले हैं। उनका जीवन और भी ज्यादा दु:खी होने वाला है। अपराध की बाढ़ आ जाने की आशंका से विकास का होने वाला छोटा-मोटा काम भी प्रभावित होने वाला है। सपा राज में गुण्डा टैक्स के नाम से प्रचलित अवैध वसूली आदि में और भी तेजी आ जाने से खासकर व्यापारी वर्ग का जीवन काफी ज्यादा त्रस्त हो रहा है।
उन्होने कहा कि लोगों की निगाह में सपा नेतृत्व का ग्राफ और भी ज्यादा गिरा है और यह पुन: साबित हुआ है कि सपा पूरी तरह से गुण्डों, माफियाओं, आपराधिक व सामप्रदायिक तत्वों आदि की रखवाली पार्टी है। जबकि प्रदेश की जनता यह मानकर चलती है कि इन चुनावों में उनके सही नुमाइन्दे चुनकर जायेंगे, ना कि आपराधिक तत्व आदि, ताकि उनके अपने क्षेत्र की छोटी-छोटी समस्याओं का स्थानीय स्तर पर ही समाधान हो जाये। स्थानीय निकाय क्षेत्र से विधान परिषद की 36 सीटों के लिए जो चुनाव होने वाले हैं, उसके लिये सपा के घोषित प्रत्याशियों से भी सपा की ’जातिवादी, आपराधिक व पारिवारिक पार्टी होने की छवि’ को बल मिलता है, जिसकी आलोचना व नकारात्मक चर्चायें जनता में आम हैं। इस प्रकार ऐसे तत्वों का सपा सरकार में हर क्षेत्र में व हर स्तर पर कब्जा हो जाने से प्रदेश की क्या दुर्दशा होगी, इसका अन्दाजा सहजतापूर्वक लगाया जा सकता है।
मायावती ने कहा कि इन विपरीत व कठिन परिस्थितियों के बावजूद बसपा के लोगों को हर स्तर पर पीडि़त लोगों की यथासम्भव सहायता पहले की तरह जारी रखनी होगी, ताकि पीडि़त लोगों की उम्मीदों पर हमारी पार्टी विपक्ष में रहते हुये भी खरी उतर सके।
मायावती ने पार्टी संगठन की तैयारियों, शेष बची कमेेटियों के गठन, सर्वसमाज में पार्टी के जनाधार को बढ़ावा देने सम्बन्धी मिशनरी कार्य के साथ-साथ प्रदेश की ताजा राजनीतिक स्थिति की गहन समीक्षा की। स्थानीय निकायों के विभिन्न स्तर के चुनाव के अन्र्तगत हाल ही सम्पन्न ब्लाक प्रमुखों के लिये हुये चुनाव की विस्तृत रिपोर्ट भी ली। बसपा पदाधिकारियों ने बताया कि जिला पंचायत अध्यक्ष, ग्राम प्रधान आदि के पिछले चुनाव की तरह ही ब्लाक प्रमुख के चुनाव में भी सपा के गुण्डों, बदमाशों व उच्च पदों पर बैठे सपा के लोगों ने ख़ूब दबंगई व गुण्डई मचायी एवं फायरिंग व अपहरण आदि भी करवाये। लोगों को कुछ जगह तो नामांकन तक करने से रोका गया और बाकी बची कसर को सरकारी मशीनरी का घोर दुरूपयोग करते हुये पूरी तरह से इस चुनाव को अपने पक्ष में कर लेने का प्रयास किया। इस व्यापक चुनावी धांधली के सम्बन्ध में दो-चार घटनाओं को छोडक़र पूरे प्रदेश में कहीं भी प्राथमिकी तक नहीं लिखी गई, जबकि समाचार पत्र आदि इस प्रकार की घटनाओं से भरे पड़े रहे। इस प्रकार प्रशासनिक व पुलिस मशीनरी को सपा के लोगों के आगे नतमस्तक होने को मजबूर कर दिया गया ताकि हर कीमत पर यह अप्रत्यक्ष चुनाव जीत कर अपने लगातार गिरते हुये मनोबल को थोड़ा संभाल सकें।
इसके साथ-साथ पार्टी के जिम्मेदार लोगों ने अपने-अपने क्षेत्र में पार्टी की प्रगति रिपोर्ट के साथ-साथ उस इलाके की दयनीय कानून-व्यवस्था एवं विकास सम्बन्धी कार्यों की घोर उपेक्षा की रिपोर्ट भी बैठक में पेश की और इन कारणों से लोगों को हो रही दिक्कतों व परेशानियों का उल्लेख करते हुये कहा कि आमजनता के दिन-प्रतिदिन के जीवन को त्रस्त करने वाली घटनाओं का अन्तहीन सिलसिला लगातार जारी है। लोगों का अमन-चैन व सुख-शान्ति से जीना लगातार काफी ज्यादा मुश्किल होता जा रहा है। वे लोग न्याय से वंचित रखे जा रहे हैं। इस कारण लोगों का जीवन त्रस्त व तनावपूर्ण हो गया है।
मायावती ने कहा कि जिला पंचायत के सदस्यों के लिये पहले हुये चुनाव में उप्र की जनता ने सीधे तौर पर भाग लिया और उसमें बसपा को प्रदेश की नम्बर-एक की पार्टी बना कर उभारा था। परन्तु स्थानीय निकाय के ही तहत् अन्य ‘‘अप्रत्यक्ष चुनाव‘‘ में, जिसमें आमजनता की सीधे भागीदारी नहीं होती है, सपा ने सत्ता व सरकारी मशीनरी एवं आपराधिक तत्वों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करके कुछ संतुष्टि जरूर प्राप्त कर ली होगी, लेकिन इससे सपा व सपा सरकार की इमेज और भी ज्यादा खराब हुई है। एक तरफ तो प्रदेश की जनता सपा सरकार की जातिगत नीति व कार्यशैली एवं बदतर क़ानून-व्यवस्था के कारण अराजकता व जंगलराज के माहौल से पहले ही काफी ज्यादा दु:खी व परेशान है, उस पर से स्थानीय निकायों के चुनाव में इस प्रकार की व्यापक धांधली आदि ने उसे और भी ज़्यादा दु:खी व उद्वेलित कर दिया है।
15 मार्च को बसपा मूवमेन्ट के जन्मदाता व संस्थापक कांशीराम के जन्मदिन के कार्यक्रम को पूरी तैयारी के साथ मनाने का निर्देंश देते हुये मायावती ने कहा कि बहुजन नायक की इस जयन्ती को, पूर्व की व्यवस्था के तहत् ही, बड़े पैमाने पर सफल बनाना है।